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ये साइलेंट किलर : आधी दुनिया ने एक महीना ज्यादा झेली गर्मी, रिपोर्ट में खुलासा

वाशिंगटन। दुनिया में 4 अरब लोग यानी करीब आधी आबादी को कम से कम एक माह अतिरिक्त तपती गरमी के दिनों का सामना करना पड़ रहा है। इसके लिए धरती के लोग ही जिम्मेदार हैं। हमने अंधाधुंध विकास की होड़ में जलवायु परिवर्तन नाम का राक्षस पैदा किया और अब यह इतना ताकतवर हो गया है कि पूरी मानवता को भस्म करने पर आमादा है।

वर्ल्ड वेदर एट्रीब्यूशन, क्लाइमेट सेंट्रल और द रेड क्रास के विश्लेषण के अनुसार अत्यधिक गर्मी के दिनों की संख्या बढ़ऩे की वजह से एक बड़ी आबादी को बीमारी, मौत और फसलों के नुकसान के साथ जीना पड़ रहा है। इसके अलावा इससे ऊर्जा और स्वास्थ्य तंत्र पर दबाव भी बढ़ रहा है। रिपोर्ट में कहा गया है कि बाढ़ और चक्रवात की खबरें अक्सर मीडिया में जगह बनाती हैं, लेकिन अत्यधिक गर्मी निश्चित तौर पर मौसम से जुड़ी सबसे खतरनाक घटना है। हालांकि इसे अखबारों में उचित कवरेज नहीं मिलती। कई बार इसे हार्ट की बीमारी या किडनी फेल होने जैसी स्वास्थ्य समस्याओं के साथ गलत तरीके से जोड़ दिया जाता है। इससे अत्यधिक गर्मी से जुड़े खतरों पर लोगों का उतना ध्यान नहीं जाता है।

रिपोर्ट में मई 2024 से मई 2025 के बीच के अत्यधिक गर्मी के दिनों को शामिल किया गया है। रिपोर्ट में कहा गया है कि गर्मी के दिनों में चलने वाली लू एक तरह से साइलेंट किलर हैं। लू चलने के दौरान लोग सड़क़ों या गलियों में नहीं मरते हैं। वे या तो अस्पताल में मर जाते हैं या कोई गरीब व्यक्ति अपने घर में मर जाता है। ऐसे में कई बार यह पता ही नहीं चलता है कि व्यक्ति की मौत लू से हुई है। रोज कमाकर खाने वाले समुदाय, और वंचित तबके की आबादी जैसे उम्रदराज वयस्क और बीमारी से ग्रस्त लोगों को अत्यधिक गर्मी की मार सबसे ज्यादा झेलनी पड़ती है। विज्ञानियों ने अपने अध्ययन में पाया है कि विश्व के करीब सभी देशों में अत्यधिक गर्मी के दिन उन दिनों की तुलना में कम से कम दोगुने हो गए हैं जब जलवायु परिवर्तन का असर नहीं था।

कैरेबियाई द्वीप अतिरिक्त अत्यधिक गर्मी के दिनों से सबसे ज्यादा प्रभावित हुए हैं। संयुक्त राज्य अमेरिका का क्षेत्र प्यूर्टो रिको ने 161 दिनों तक अत्यधिक गर्मी झेली है। जलवायु परिवर्तन के बिना यहां अत्यधिक गर्मी के केवल 48 दिन ही हुए होते। पिछले जुलाई में मोरक्को में तापमान 48 डिग्री सेल्सियस तक पहुंचने के बाद कम से कम 21 लोगों की मौत हो गई थी। रेड क्रास रेड क्रिसेंट क्लाइमेट सेंटर में पदाधिकारी रूप सिंह का कहना है कि लोग देख रहे हैं कि तापमान बढ़ रहा है, लेकिन सबको यह नहीं पता है कि ऐसा जलवायु परिवर्तन के कारण हो रहा है। उन्होंने कहा कि अत्यधिक गर्मी की बढ़ती चुनौती का सामना करने के लिए हमें बेहतर चेतावनी प्रणाली स्थापित करने के साथ इसके खतरों से निपटने के लिए जरूरी तैयारियां करनी होंगी। इसके अलावा शहरी क्षेत्रों में अत्यधिक गर्मी के लिए जिम्मेदार कारकों को कम करने के लिए लंबी अवधि की योजना पर काम करना होगा।

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