नईदिल्ली । देश में बाघों की की मौत का आंकड़ा चिंताजनक रूप से बढ़ रहा है। इस साल अब तक 91 शाही बाघ की मौत हो चुकी है। यदि यह प्रवृत्ति जारी रहती है, तो 2024 में बाघों की मौत का आंकड़ा पिछले साल के 126 को पार कर सकता है।
राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण के आंकड़ों के अनुसार, 2019 से 2023 तक पांच वर्षों में कुल 628 बाघों की मौत हुई है, जिसमें 2023 में सर्वाधिक 178 मौतें दर्ज की गईं। पिछले साल (2024) के पहले साढ़े पांच महीनों में हुई 91 मौतों में से आधे से अधिक (49) अकेले मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र में हुई हैं। महाराष्ट्र में 26 और मध्य प्रदेश में 24 बाघों की मौत दर्ज की गई है, जिसके पीछे ट्रेन दुर्घटनाएं और संक्रामक रोग प्रमुख कारण हैं। केरल (9), असम (8), उत्तराखंड (7), कर्नाटक (4), उत्तर प्रदेश (4) और तेलंगाना (1) भी प्रभावित राज्यों में शामिल हैं।
एक गैर-सरकारी संगठन, भारतीय वन्यजीव संरक्षण सोसायटी के आंकड़े और भी चिंताजनक हैं, जो 2024 में अब तक 120 बाघों की मौतों का संकेत देते हैं, जिनमें से 24 अवैध शिकार और वन्यजीव तस्करी से संबंधित है। पिछले 12 वर्षों में, पूरे भारत में 1,386 बाघों की मौत हुई है, जिनमें से लगभग 50 फीसद मौतें नामित बाघ अभयारण्यों में हुई हैं।
हालांकि, संरक्षणवादियों के लिए एक आशा की किरण भी है, क्योंकि तेजी से बढ़ते शहरीकरण और मानव आबादी के बावजूद, दुनिया के लगभग तीन-चौथाई बाघ अभी भी भारत में हैं। भारतीय वन्यजीव संस्थान के संरक्षणवादी वाईवी झाला ने ‘साइंस’ पत्रिका में प्रकाशित अपने हालिया अध्ययन में कहा कि ‘2010 से 2022 तक भारत में बाघों की संख्या अनुमानित 1,706 से दोगुनी होकर लगभग 3,700 हो गई है’।
हालांकि अध्ययन में यह भी चेतावनी दी गई है कि इससे ‘आत्मसंतुष्ट’ होने की आवश्यकता नहीं है। अध्ययन के मुताबिक ‘भारत में बाघों की संख्या में वृद्धि एक असाधारण उपलब्धि है लेकिन चुनौतियां अभी भी बनी हुई हैं। सामाजिक-राजनीतिक अस्थिरता और आवास क्षरण के कारण 157000 वर्ग किलोमीटर के संभावित बाघ आवास के बड़े हिस्से अभी भी बाघों से रहित ही हैं।
अध्ययन ने संरक्षित क्षेत्रों और आवास गलियारों का विस्तार करने, अवैध रूप से हो रहे इनके शिकारों को रोकने, बाघ आवासों के पास रहने वाले समुदायों के लिए स्थायी आजीविका को बढ़ावा देने, प्रारंभिक चेतावनी प्रणालियों और त्वरित प्रतिक्रिया टीमों सहित मानव-वन्यजीव संघर्ष को कम करने की रणनीतियों को बढ़ाने की सिफारिश की है।