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उत्तर प्रदेश

भव्य मंदिर में माता सीता संग विराजे राजाराम, पूरी हुई प्राण प्रतिष्ठा

अयोध्या। रामनगरी के इतिहास में एक और स्वर्णिम अध्याय उस समय जुड़ गया, जब बृहस्पतिवार को सीएम योगी आदित्यनाथ ने भव्य मंदिर में राजा राम की प्राण प्रतिष्ठा की। इसी के साथ ही राजा राम अपने भव्य मंदिर में विराजमान हो गए।

22 जनवरी 2024 को जब बाल स्वरूप में रामलला राम जन्मभूमि के गर्भगृह में विराजे, तब से अयोध्या में भक्तों का उत्साह सातवें आसमान पर था, परंतु अब उससे भी एक कदम आगे, अयोध्या ने एक और स्वर्णिम अध्याय रच दिया है। जब मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम राजा राम के रूप में राम मंदिर के प्रथम तल पर अपने राज दरबार में विराजमान हुए हैं। यह दृश्य मात्र एक प्रतिमा नहीं, बल्कि एक युग का पुनर्जन्म है।

भगवान राम का दरबार न्याय, करुणा और धर्म का प्रतीक था। वे सिंहासन पर विराजमान होते हुए, प्रजा के हर सुख-दुख को अपनी जिम्मेदारी समझते थे, वे केवल एक राजा नहीं, ‘राजर्षि’ थे, जो तप, त्याग और सेवा का जीवंत स्वरूप थे। दरबार का दृश्य अद्भुत है। स्वर्ण जड़ित सिंहासन, सिंहों की आकृति से सुशोभित मंच और उसके चारों ओर खड़े उनके परिजन और सेवक. यह केवल एक स्थापत्य कला नहीं, यह आस्था का मूर्त रूप है।

अयोध्या में विराजित राजा राम का दर्शन आज के युग के लोगों को यह विश्वास दिलाता है कि रामराज्य केवल एक कल्पना नहीं, एक जीवंत प्रेरणा है। यह दरबार हमें स्मरण कराता है कि रामराज्य का अर्थ सत्य और न्याय का राज्य, प्रजा का कल्याण और राजा की निरंतर सेवा भावना है। आज जब राम भक्त इस राजदरबार में प्रवेश करते हैं, तो मानों वे त्रेतायुग के उस स्वर्ण युग में पहुंच जाते हैं, जहां हर दिशा में राम नाम की गूंज होती थी।

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