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गुजरात

अहमदाबाद प्लेन क्रेसः विजय रूपाणी की विमान में सीट नंबर 2-डी थी..

अहमदाबाद। गुजरात के पूर्व मुख्यमंत्री विजय रूपाणी का अहमदाबाद में एयर इंडिया के विमान हादसे में निधन हो गया। वह लंदन जा रहे थे, जहां उनकी पत्नी अंजलि बेन पिछले छह महीने से हैं। रूपाणी उन्हें वापस लेने के लिए आज लंदन जाने वाले थे।

विमान हादसे की जानकारी

एयर इंडिया का विमान अहमदाबाद के सरदार वल्लभभाई पटेल अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे के पास मेघानी नगर क्षेत्र में क्रैश हो गया।
विमान में 242 लोग सवार थे, जिनमें 2 पायलट और 10 केबिन क्रू शामिल थे।
अब तक 133 लोगों की मौत की पुष्टि हुई है, जबकि कई अन्य घायल हुए हैं।
राहत और बचाव कार्य जारी है, और घायलों को अस्पताल पहुंचाया जा रहा है।

विजय रूपाणी की स्थिति

विजय रूपाणी विमान में सीट नंबर 2-डी पर बैठे थे। उनके पड़ोसियों ने बताया कि खबर आने के बाद से ही आसपास के लोग बेचैन हैं और सभी चिंतित हैं।

विजय रुपानीः एक साधारण से असाधारण सफर

विजय रुपानी, गुजरात के पूर्व मुख्यमंत्री, का जीवन एक प्रेरणादायक उदाहरण है कि कैसे मेहनत और निष्ठा से व्यक्ति अपने लक्ष्यों को प्राप्त कर सकता है। म्यांमार में जन्मे और राजकोट में पले-बढ़े विजय रुपानी ने अपने जीवन की शुरुआत से ही देशसेवा के प्रति समर्पण दिखाया।

आरएसएस और एबीवीपी से जुड़ाव

विजय रुपानी ने 1971 में, महज 15 साल की उम्र में, आरएसएस और जनसंघ से जुड़कर अपनी राजनीतिक यात्रा शुरू की। कॉलेज के दिनों में वे एबीवीपी के साथ सक्रिय रूप से जुड़े और छात्रों को संगठित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

आपातकाल और जेल की सजा

1975 के आपातकाल के दौरान, विजय रुपानी ने इंदिरा गांधी के खिलाफ आवाज उठाई और इसके लिए उन्हें जेल भी जाना पड़ा, लेकिन इस कठिनाई ने उनके संकल्प को और मजबूत किया।

राजनीतिक करियर की शुरुआत

1987 में, विजय रुपानी ने राजकोट नगर निगम में कॉरपोरेटर के रूप में अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत की। उनकी मेहनत और संगठन कौशल ने उन्हें 1996 में राजकोट का मेयर बनने में मदद की।

गुजरात के मुख्यमंत्री

विजय रुपानी का राजनीतिक करियर लगातार आगे बढ़ता गया। वे गुजरात टूरिज्म के चेयरमैन, राज्यसभा सांसद और फिर 2014 में राजकोट वेस्ट से विधायक बने। 2016 में, उन्होंने गुजरात के मुख्यमंत्री के रूप में पदभार संभाला, जो उनके जीवन का एक महत्वपूर्ण पड़ाव था।

सादगी और निष्ठा

विजय रुपानी की सादगी और निष्ठा ने उन्हें एक लोकप्रिय नेता बनाया। उनकी कहानी उन लोगों के लिए एक प्रेरणा है जो अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए कठिन परिश्रम और समर्पण के महत्व को समझते हैं

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