खेलने-कूदने की उम्र में ही कैमरे की चमक और तालियों की गूंज के बीच पहचान बनाने वाली एक मासूम बच्ची को क्या पता था कि वो कभी देश की नामी IAS अधिकारी बनेंगी। फिल्मों में काम करके नाम कमाने के बाद किस्मत ने ऐसा खेल खेला कि वो ग्लैमर की दुनिया से पूरी तरह दूर हो गईं।
बचपन में अधिकांश बच्चे खेलने-कूदने में मग्न होते हैं, लेकिन ये बच्ची बचपन में कैमरे की चमक और तालियों की गूंज के बीच पहचान बनाने में लगी हुई थी। ये एक चमकती हुई बाल कलाकार थी, जिसने कन्नड़ फिल्म इंडस्ट्री में अपनी मासूमियत और प्रतिभा से सबका दिल जीत लिया था, फिर इनकी जिंदगी में ऐसा मोड़ आया कि इन्होंने अपने सफल करियर को छोड़ने का फैसला कर लिया।
नई यात्रा पर उन्होंने सफलता के नए आयाम तय किए और नई दुनिया में भी चमचमाता सितारा बनीं। ये कहानी है कैमरे के सामने परफॉर्म करके अभिनय से छाप छोड़ने वाली एचएस कीर्तना की। कीर्तना की असली कहानी परदे के पीछे शुरू होती है। चलिए इसके बारे में आपके विस्तार से बताते हैं।
बदल गई तकदीर- यह कहानी है एक ऐसी लड़की की जिसने चकाचौंध भरी फिल्मी दुनिया को छोड़कर एक नई राह चुनी, वह भी देश सेवा की। जहां एक ओर उनके नाम से सिनेमाघरों में तालियां बजती थीं, वहीं दूसरी ओर उन्होंने खुद को किताबों की दुनिया में झोंक दिया। अभिनय के रंगीन परिधान उतारकर, कीर्तना ने सादगी भरे प्रशासनिक जीवन को अपनाया और साबित किया कि सपनों की कोई तय सीमा नहीं होती। उनकी यह परिवर्तनकारी यात्रा न सिर्फ प्रेरणादायक है, बल्कि यह दर्शाती है कि जुनून, धैर्य और मेहनत से कोई भी मंच आपका हो सकता है, चाहे वह कैमरे के सामने हो या जनता के बीच। एचएस कीर्तना ने एक ऐसा रास्ता चुना, जो आमतौर पर ग्लैमर की दुनिया से बहुत दूर होता है, भारतीय प्रशासनिक सेवा (IAS)।
अभिनय की दुनिया में सिर्फ चार साल की उम्र में कीर्तना ने कदम रखा। ‘कर्पूरदा गोम्बे’, ‘गंगा-यमुना’, ‘उपेन्द्र’, ‘हब्बा’, ‘लेडी कमिश्नर’ जैसी तमाम कन्नड़ फिल्मों और धारावाहिकों में उनकी मासूम अदाकारी ने दर्शकों का दिल जीत लिया। कर्नाटक में उन्हें एक लोकप्रिय बाल कलाकार के रूप में देखा जाने लगा। हालांकि परदे पर कीर्तना चमक रही थीं, लेकिन उनके दिल में एक और सपना पल रहा था, देश सेवा का। अपने पिता की इच्छा को मान देते हुए उन्होंने एक्टिंग छोड़कर कर्नाटक प्रशासनिक सेवा (KAS) की ओर रुख किया। साल 2011 में उन्होंने परीक्षा पास की और दो साल KAS अधिकारी के रूप में काम किया, जिसने उनकी आगे की राह तय की।
साल 2013 से नए सफर की शुरुआत हुआ। उन्होंने यूपीएससी (UPSC) की तैयारी शुरू की। पहले पांच प्रयासों में उन्हें असफलता मिली, लेकिन उनकी हिम्मत नहीं टूटी। छठे प्रयास में आखिरकार साल 2020 में उन्होंने सफलता का परचम लहराया और 167वीं रैंक हासिल की। ये सिर्फ एक परीक्षा पास करना नहीं था, यह अपने भीतर के विश्वास को जीतने जैसा था। IAS बनने के बाद कीर्तना को मांड्या जिले में सहायक आयुक्त के रूप में नियुक्त किया गया। यहां उन्होंने अपने कार्यों से यह साबित कर दिया कि एक अच्छा प्रशासक बनने के लिए सिर्फ किताबों की नहीं, संवेदना की भी जरूरत होती है। फिलहाल कीर्तना मुख्य कार्यपालन अधिकारी कार्यालय, जिला पंचायत, चिक्कमगलुरु में तैनात हैं।