गजेंद्र मोक्ष स्तोत्र क्या है? – What is Gajendra Moksh Strot
Gajendra Moksh Strot – सनातन धर्म के अनुसार विभिन्न मंत्रो और स्तोत्रों के नियमित जाप से घर में सुख शांति तो आती ही है साथ ही कई समस्याओं से छुटकारा भी मिलता है। ऐसे ही स्तोत्रों में से एक है गजेंद्र मोक्ष स्तोत्र जिसका नियमित रूप से ब्रह्म मुहूर्त में जाप करने से व्यक्ति बड़े से बड़े कर्ज से मुक्त हो जाता है और साथ ही साथ उसे किसी भी संकट का तनिक सा भी भय नहीं रहता। सनातन धर्म में ऐसी मान्यता है कि यदि कोई भी व्यक्ति इस स्तोत्र का पाठ करता है तो भगवान् विष्णु उसकी बाधाओं को स्वयं हर लेते हैं और उसके लिए कठिन से भी कठिन काम आसान हो जाता हैं।
गजेंद्र मोक्ष स्तोत्र का उल्लेख ”श्रीमद्भगवद गीता” के तीसरे ध्याय में मिलता है। इसमें कुल 33 श्लोक दिए गए हैं। इस स्तोत्र में हाथी और मगरमच्छ के साथ हुए युद्ध का वर्णन किया गया है। आज इस लेख के माध्यम से हम आपको गजेंद्र मोक्ष स्तोत्र के महत्व के बारे में बताने जा रहे हैं।
गजेंद्र मोक्ष स्तोत्र की कथा
गजेंद्र मोक्ष की कथा के अनुसार क्षीरसागर में त्रिकुट नाम का पर्वत था जिसके आस–पास हाथियों का झुंड रहा करता था। हाथियों के झुंड का मुखिया गजेंद्र नाम का हाथी था। एक दिन घूमते–घूमते गजेंद्र हाथी को बहुत तेज प्यास लगी, अन्य हाथियों के साथ गजेंद्र भी पास के एक सरोवर से पानी पी कर अपनी प्यास बुझाने लगा लेकिन तभी एक शक्तिशाली मगरमच्छ ने गजेंद्र के पैर को दबोच लिया और उसे सरोवर के अंदर खीचने लगा।
मगरमच्छ से बचने के लिए गजेंद्र अपनी पूरी ताकत लगाता रहा लेकिन वो अपने आप को छुड़ाने में सफल नहीं हो सका। गजेन्द्र और ग्राह का संघर्ष निरंतर चलता रहा। गजेन्द्र की शक्ति क्षीण होने लगी और उसका शरीर शिथिल पड़ गया। अंत में गजराज दर्द से चीखने चिल्लाने लगा गजेंद्र की चीख सुनकर अन्य हाथी भी शोर करने लगे और हाथियों का पुरे झुंड ने गजेंद्र को ग्राह से बचाने का प्रयास किया लेकिन उन्हें भी सफलता न मिल सकी। गजेंद्र जब सारे प्रयास करके थक गया और उसे अपनी मौत नजदीक दिखाई देने लगी तब उसने भगवान विष्णु का ध्यान किया और उन्हें भक्तिभाव से पुकारने लगा और कहने लगा कि हे भगवन मेरी रक्षा करो!, मेरे प्राण उबारो प्रभु! अपने भक्त की आवाज सुनकर भक्तवत्सल भगवान विष्णु नंगे पैर ही गरुण पर सवार होकर गजेंद्र को बचाने आ गए और अपने सुर्दशन चक्र से मगरमच्छ को मार गिराया और अपने भक्त की रक्षा की। भगवान विष्णु अपने भक्तों को जरा भी कष्ठ नहीं होने देते हैं गजेंद्र मोक्ष की कथा हमें यही बतलाती है।
गजेंद्र मोक्ष स्तोत्र पाठ के लाभ
अगर आप घर में सुख समृद्धि और शांति बनाए रखना चाहते हैं, तो गजेंद्र मोक्ष स्तोत्र का जाप आपके लिए बेहद लाभदायक है। कर्ज से मुक्त होने के लिये गजेंद्र मोक्ष के पाठ एक अमोघ उपाय है। मान्यता है कि कार्तिक मास में सूर्योदय से पूर्व प्रतिदिन इस स्तोत्र का पाठ करे तो बड़े से बड़ा कर्ज भी चुक जाता है। जो लोग कर्ज से परेशान हैं जिनके लिये कर्ज चुकाना अत्यंत कठिन हो गया हैं उन्हें भी गजेंद्र मोक्ष के पाठ से समस्या का समाधान मिल जाता है। इसके नियमित पाठ से मुश्किल से मुश्किल समस्याओं का भी कोई न कोई हल निकल आता है। इसका पाठ करने से पित्तर दोष से भी मुक्ति मिलती है.
गजेंद्र मोक्ष स्तोत्र का पाठ शुक्ल पक्ष के किसी भी तिथि से शुरू किया जा सकता हैं। पाठ करते समय आपका मुख पूर्व दिशा की ओर होना चाहिए। यदि सूर्योदय से पूर्व अर्थात सूर्य निकलने के पहले इसका पाठ किया जाए तो यह अति उत्तम और शीघ्र फलदायी साबित होता है। गजेंद्र मोक्ष स्तोत्र का निरंतर भक्तिभाव से पाठ करने वाला मनुष्य समस्त प्रकार के पापो से मुक्त हो जाता है, उसके सभी कष्टों और विघ्नो का विनाश स्वयं भगवान् विष्णु करते हैं। इस स्तोत्र का पाठ करने वाला जातक अपना शरीर त्यागने के पश्चात् कभी नरक में नहीं जाता, ऐसा स्वयं श्री भगवान् का वचन है।
गजेंद्र मोक्ष स्तोत्र का पाठ कैसे करें?
सुबह जल्दी उठे, स्नान आदि से निवृत्त होकर भगवान विष्णु की प्रतिमा के सामने आसान जमाएं, एक दीपक जला ले, अपना ध्यान इधर उधर से हटा दे और फिर इस स्तोत्र का श्रद्धा भाव से पाठ करें। कहते है की इस स्तोत्र का पाठ अगर नियमित रूप से किया जाये तो भगवान के दर्शन अंत समय में जरूर होते है।
कर्ज से मुक्ति पाने के लिए गजेंद्र मोक्ष स्तोत्र को सर्वाधिक फायदेमंद माना गया है। यदि आप भी किसी प्रकार के कर्ज से मुक्ति पाना चाहते हैं तो इस स्तोत्र का जाप अवश्य करें। भगवान विष्णु आपकी सभी परेशानियों को शीघ्र ही दूर कर देंगे। यदि गजेन्द्र मोक्ष स्तोत्र का पाठ करने के बाद “नारायण कवच”का भी पाठ किया जाये तो यह औरअधिक प्रभावशाली होगा ।