आगरा। प्रशिक्षु पैराजंपर को प्रशिक्षण के दौरान शुक्रवार सुबह 10 बजे दर्दनाक घटना हुई। पैराशूट न खुलने से जूनियर वारंट अफसर जीएस मंजूनाथ की सुतेड़ी गांव के खेत में गिरकर मौत हो गई। पीटीएस के प्रशिक्षक जीएस मंजूनाथ का पैराशूट हवा में न खुलने की विशेष टीम जांच करेगी। यह जांच जल्द से जल्द पूरी होगी। इसमें पैराशूट कहां पर पैक हुआ।
मंजूनाथ वायुसेना स्टेशन आगरा परिसर स्थित पैराट्रूपर्स प्रशिक्षण स्कूल (पीटीएस) में प्रशिक्षक थे। संलूरू गांव (शिमोगा जिला) कर्नाटक राज्य निवासी मंजूनाथ कई साल से यहां तैनात थे। अफसर को ग्लोबल पोजीशनिंग सिस्टम (जीपीएस) की मदद से दो घंटे में खोजा गया। नाक से खून निकल रहा था। पैराशूट न खुलने की तकनीकी कमी को खोजेगी विशेष टीम।
वहां के कर्मचारियों से भी पूछताछ की जाएगी। एएन-32 विमान से छलांग लगाने के दो मिनट के बाद पैराशूट खुलना था, लेकिन मुख्य के साथ ही रिजर्व पैराशूट भी नहीं खुला। रिजर्व पैराशूट की नोब न खुलना अधिकारियों के लिए चिंता का विषय बन गया है।
विमान से छलांग लगाने के बाद पैराट्रूपर तेजी से भूमि की तरफ आता है। पांच से दस सेकेंड के अंतराल में पोजीशन बदल जाती है। हर बार पोजीशन इस तरीके से बनाई जाती है कि भूमि पर उतरने के दौरान किसी भी तरीके से कोई दिक्कत न हो।
प्रशिक्षक जीएस मंजूनाथ 600 से अधिक छलांग लगा चुके थे
पैराशूट न खुलने के पीछे कई वजह हैं। इसमें पैराशूट में तकनीकी कमी आना, पैराशूट की सही तरीके से पैकिंग न होना, पैराशूट को गलत ऊंचाई या फिर गलत क्रम में रखना शामिल है। पैराट्रूपर द्वारा कोई भी गलती होना भी शामिल है। प्रशिक्षक जीएस मंजूनाथ 600 से अधिक छलांग लगा चुके थे। पीटीएस में हर दिन जवानों को छलांग लगाने का प्रशिक्षण देते थे। ऐसे में उनके द्वारा गलती की गुंजाइश नहीं थी।
इकलौता है पीटीएस
वायुसेना स्टेशन स्थित पीटीएस देश में इकलौता है। पीटीएस में हर साल 43 हजार से अधिक छलांग होती हैं। छलांग से पूर्व सभी जवानों को विशेष प्रशिक्षण दिया जाता है। इसमें थलसेना, वायुसेना और नौसेना के जवान शामिल रहते हैं।
हौसला बढ़ाने के लिए सेवानिवृत्त अफसर लगाएंगे छलांग
जल्द ही मलपुरा ड्रापिंग जोन में जवानों का हौसला बढ़ाने के लिए सेवानिवृत्त अधिकारी छलांग लगाएंगे। यह छलांग सुबह साढ़े आठ बजे के बाद होगी।
ग्रामीणों को हटाया गया
जूनियर वारंट अफसर जीएस मंजूनाथ सुतेड़ी गांव की कमलेश देवी के गेहूं के खेत में गिरे थे। वायुसेना की टीम ने उस क्षेत्र को सील कर दिया। ग्रामीणों को हटा दिया गया। मोबाइल से वीडियो बनाने और फोटो खींचने पर रोक लगा दी गई। दोपहर तीन बजे पुलिस की फोरेंसिक टीम खेत में पहुंची और घटनास्थल से नमूने एकत्रित किए।
पैराशूट न खुलने से कई जवान गवां चुके हैं जान
मलपुरा ड्रापिंग जोन के आसमान में पैराशूट न खुलने से कई जवानों की मृत्यु हो चुकी है।
सबसे अधिक मृत्यु वर्ष 2019 में हुई थीं।
नवंबर 2018 में पैरा ब्रिगेड के हवान हरदीप सिंह की मृत्यु हुई थी। वह पटियाला के थे।
मार्च 2018 में पलवल निवासी कमांडो सुनील सहरावत की मृत्यु हुई थी। वह वर्ष 2012 में सेना में भर्ती हुए थे। आठ मार्च 2019 को कांगड़ा हिमांचल प्रदेश के अमित कुमार की मृत्यु हुई थीं।
हाईटेंशन लाइन में पैराशूट के उलझने से 12 मई 2023 को कमांडो अंकुश शर्मा की मृत्यु हो गई थी। हालांकि उनका पैराशूट खुल गया था।
मकानों से लेकर खेतों में गिरते हैं जवान
मलपुरा ड्रापिंग जोन में हर दिन प्रशिक्षण चलता है। जोन के आसपास के गांवों के मकानों से लेकर खेतों तक में जवान गिरते हैं। जवान घायल भी हो जाते हैं। इसकी वजह हवा का बहाव अधिक होना है।