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उत्तर प्रदेश

पहली खुराक लेते ही लापता हो गए 150 से अधिक एचआईवी रोगी, विभाग ने किया सर्वे शुरू

मुजफ्फरनगर। जिला चिकित्सालय से एचआईवी की पहली खुराक लेने के बाद 150 से अधिक मरीज लापता हो गए। विभाग ने इन्हें एलएफयू (लास टू फालोअप) घोषित कर सर्वे शुरू किया है। एआरटी सेंटर पर लगभग 2000 मरीजों का उपचार जारी है। डॉक्टरों के अनुसार एचआईवी मरीजों को जीवनभर दवा लेनी होती है। यह संक्रमित रक्त, असुरक्षित यौन संबंध व संक्रमित सुई के इस्तेमाल से फैलता है।

स्वामी कल्याण देव राजकीय जिला चिकित्सालय के एआरटी सेंटर पर लगभग दो हजार एचआईवी मरीजों का उपचार चल रहे है। जो नियमित रूप से हर माह दवा लेकर जाते है, लेकिन लगभग 150 मरीज ऐसे हैं, जो लापता हो गए। यह शुरुआत की दवा लेने के बाद फिर नहीं आए। इन मरीजों को विभाग ने एलएफयू कर दिया।

एआरटी सेंटर के मेडिकल आफिसर डा. मुजिबुर्रहमान ने बताया कि लापता मरीजों को संपर्क किया गया। इसके अलावा अब सर्वे भी कराया जा रहा है। इन मरीजों के घर जाकर उनकी जानकारी ली जाएगी। उन्होंने कहा कि हर मरीज को एक महीने की दवा दी जाती है। बीच-बीच में मरीजों की वायरल लोड टेस्ट भी कराया जाता है। जिसकी रिपोर्ट के आधार पर दवा चलाई जाती है।

डा. मुजिबुर्रहमान ने बताया कि एचआईवी के मरीजों को जीवनभर दवा खानी पड़ती है। इसमें टीबी रोग जैसे लक्षण होते है। इसके मुख्य चार लक्षण खांसी, बुखार, वजन कम होना और रात में पसीना आना है। इन्हीं लक्षणों के आधार पर पहले मरीज की आईसीटीसी सेंटर पर तीन तरह की किट से जांच की जाती है।

इसके बाद अगर मरीज पाजीटिव आता है तो छह महीने की दवा खिलाने के बाद वायरल लोड जांच कराई जाती है। खून की जांच तो जिला चिकित्सालय स्थित आईसीटीसी सेंटर में ही हो जाती है। जबकि वायरल लोड जांच मेरठ भेजी जाती है। जिसकी रिपोर्ट आने में लगभग एक सप्ताह लग जाता है।

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