आगरा। पढ़-लिखकर कुछ बनना चाहती थी। अपने सपनों को साकार करना चाहती थी, पर माता-पिता ने दो वर्ष पहले ही युवती की शादी कर दी। बीए प्रथम वर्ष उत्तीर्ण कर चुकी युवती अगले वर्ष में प्रवेश नहीं ले सकी। शादी के बाद युवती ससुराल पहुंच गई। यहां सास और पति के साथ रार होने पर मामला पुलिस तक पहुंच गया। इसके बाद मामला काउंसलर के सामने पहुंचा तो उसने पति के सामने दो शर्त रख दी। पहली पढ़ाई पूरी कराने को लेकर द्वितीय वर्ष में प्रवेश कराया जाए और दूसरा पति के साथ अलग रहेगी। काउंसलर डाॅ. अमित गौर ने बीच का रास्ता निकाल दोनों में सुलह कराई।
मिली जानकारी के अनुसार अछनेरा के रहने वाले दंपती का मामला काउंसलिंग में पहुंचा तो शादी को दो वर्ष हुए थे। पति और पत्नी दोनों अपने माता-पिता की इकलौती संतान हैं। पत्नी ने पति और सास पर मारपीट और उत्पीड़न का आरोप लगाया था। जब दंपति की काउंसलिंग हुई तो पत्नी ने पति के सामने शर्त रख दी। उनका कहना था कि शादी के समय वह बीए प्रथम वर्ष की परीक्षा उत्तीर्ण कर चुकी थी, इसके बाद पढ़ाई छूट गई, पत्नी अब पुनः बीए द्वितीय वर्ष में प्रवेश दिलाने की बात कही, दूसरा पति के साथ अलग रहेगी।
इस दौरान पति ने उसकी पहली शर्त मान ली, आगामी सत्र में उसका प्रवेश कराने का लिखित में आश्वासन दिया। पत्नी की दूसरी शर्त पर पेंच फंस गया। पति का कहना था कि वह अपने माता-पिता का इकलौता संतान है, वह माता-पिता को छोड़कर कैसे रह सकता है। पत्नी अपनी जिद पर अड़ी हुई थी। इस पर काउंसलर डाॅ. अमित गौर ने बीच का रास्ता निकाला। पत्नी भी इसके लिए रेडी हो गई। यह तय हुआ कि पति दो महीने के लिए पत्नी को अलग लेकर रहेगा। दंपती और सास अपने व्यवहार मंे सुधार लाएंगे साथ ही एक-दूसरे की शिकायत दूर करने का प्रयास करेंगे। इसके बाद दोबारा साथ रह सकते हैं। दंपति इसके लिए तैयार हो गए, दोनों की बीच सुलह हो गई।