इंदौर। 19 वर्षीय युवक ने सड़क हादसे में अपना पैर खोया था। उसने क्षतिपूर्ति के लिए इंदौर जिला न्यायालय का दरवाजा खटखटाया। कोर्ट ने सभी तथ्यों पर विचार करने के बाद बीमा कंपनी को आदेश दिया कि वह क्षतिपूर्ति के रूप में युवक को 57 लाख 56,400 रुपये का भुगतान करे। बीमा कंपनी को इस रकम पर 6 प्रतिशत वार्षिक की दर से ब्याज भी देना होगा।
हादसा 12 सितंबर 2015 को हुआ था। प्रार्थी आशय कश्यप अपने दोपहिया वाहन से महाराष्ट्र के पुणे से लोणावला जा रहा था। पीछे से आए डंपर एमएच 14 सीपी 6716 के चालक ने उसे पीछे से इतनी जोरदार टक्कर मारी की आशय सड़क पर गिर पड़ा। उसे गंभीर चोट आई। उसे तुरंत अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा जहां डॉक्टरों ने उसकी जान बचाने के लिए उसके बायां पैर घुटने के ऊपर से काटने का निर्णय लिया।
इसके बाद से आशय जीवनपर्यंत के लिए चलने-फिरने से मोहताज हो गया। वह कई दिनों तक अस्पताल में भर्ती रहा। बाद में उसे कृत्रिम पैर लगवाना पड़ा। हादसे के वक्त वह पुणे के एक विश्वविद्यालय में बीआर्क का विद्यार्थी था और उसके उज्जवल भविष्य के अवसर थे। उसके पिता ने उसके लिए एजुकेशन लोन भी ले रखा था। बाद में आशय इंदौर शिफ्ट हो गया और उसने जिला न्यायालय में डंपर का बीमा करने वाली बीमा कंपनी के खिलाफ क्षतिपूर्ति का वाद प्रस्तुत किया।
आवेदक आशय ने कोर्ट को बताया कि हादसे की वजह से उसकी शिक्षा भी प्रभावित हुई है। लंबे समय तक कॉलेज से दूर रहने की वजह से उसकी रैंक प्रभावित हुई। इसका सीधा असर उसके भविष्य पर पड़ा है। न्यायालय ने सभी तथ्यों को विचार में लाने के बाद आदेश दिया कि बीमा कंपनी आशय को 57 लाख 56,400 रुपये का भुगतान बतौर क्षतिपूर्ति करे।