आमतौर पर बुखार कुछ दिनों में अपने आप ठीक हो जाता है. आप बिना प्रिस्क्रिप्शन के कैमिस्ट से दवा लेकर भी बुखार को भगा सकते हैं. अगर बुखार की वजह से आपको कोई ज्यादा परेशानी नहीं हो रही है तो जरूरी नहीं कि आप इसके लिए दवा लें, बल्कि यह किसी तरह के संक्रमण से लड़कर अपने आप ठीक हो जाता है.
बुखार के लक्षण
दिन के अलग-अलग समय में विभिन्न लोगों का शारीरिक तापमान अलग-अलग हो सकता है. पारंपरिक तौर पर मानव शरीर का औसत तापमान 98.6 डिग्री फारेनहाइट (37 डिग्री सेल्सियस) माना जाता है. जब मुंह में थर्मामीटर लगाकर शरीर का तापमान लिया जाता है तो आमतौर पर 100 डिग्री फारेनहाइट या इससे ज्यादा तापमान हो तभी बुखार माना जाता है. बुखार किन वजहों से है, उसके आधार पर निम्न कुछ लक्षण भी नजर आ सकते हैं.
- पसीना आना
- ठंड लगना और कंपकंपी छूटना
- सिरदर्द होना
- मांसपेशियों में दर्द
- भूख में कमी
- चिड़चिड़ापन
- निर्जलीकरण
- कमजोरी
बुखार होने पर डॉक्टर के पास कब जाएं –
वैसे तो बुखार अपने आप में चिंता का कारण नहीं है. आमतौर पर बुखार में डॉक्टर के पास जाने की आवश्यकता भी नहीं पड़ती है. लेकिन कुछ ऐसी स्थितियां होती हैं, जिसमें आपको डॉक्टर की सलाह लेनी पड़ती है. खासतौर पर बच्चों के लिए. कई बार बुखार जब बहुत ज्यादा हो और अपने आप ठीक न हो रहा हो तो अपने लिए भी डॉक्टर से सलाह लेने की जरूरत पड़ सकती है.
बुखार के कारण –
गर्मी के उत्पादन और तापमान में गिरावट का बैलेंस ही शारीरित तापमान होता है. हमारे मस्तिष्ट में हाइपोथैलामस नाम की एक जगह होती है जिसे शरीर का थर्मोस्टेट भी कहा जाता है और यही शरीर के तापमान को नियंत्रित करता है. ऐसा नहीं है कि जब आपको बुखार आता है या कोई अन्य शारीरिक समस्या होती है, तभी शरीर का तापमान कम या ज्यादा होता है. बल्कि दिन के अलग-अलग समय आपके शरीर का तापमान थोड़ा-बहुत ऊपर-नीचे होता रहता है. शरीर का तापमान सुबह के समय कम हो सकता है और आमतौर पर दोपहर व शाम को ज्यादा होता है.
अगर आपकी रोग प्रतिरोधक क्षमताकिसी रोग या बीमारी के प्रति प्रतिक्रिया करती है या उससे लड़ती है तो हाइपोथैलामस आपके शरीर का तापमान बढ़ा सकती है. यह जटिल प्रक्रियाओं को प्रेरित करता है, जो शरीर में और अधिक गर्मी पैदा करता है और हीट लॉस नहीं होने देता. जब कभी आपको कंपकंपी का अनुभव होता है तो यह भी शरीर द्वारा गर्मी पैदा करने का एक तरीका है. जब इस कंपकंपी या ठंड की वजह से आप अपने शरीर को अच्छे से ढक लेते हैं तो ऐसा करके आप अपने शरीर की गर्मी को बनाए रखने में मदद करते हैं.
आमतौर पर 104 डिग्री फारेनहाइट से कम बुखार फ्लू जैसे सामान्य वायरल इंफेक्शन की वजह से होता है. जो आपके इम्यून सिस्टम की रोगों से लड़ने में मदद करता है और ज्यादातर मामलों में नुकसानदायक नहीं होता. बुखार या शरीर का अधिक तापमान निम्न वजहों से हो सकता है.
- वायरल इंफेक्शन
- बैक्टीरियल इंफेक्शन
- अधिक समय तक गर्मी में रहने की वजह से थकावट
- रूमेटॉइड आर्थराइटिस और Synovium जैसे स्थितियां
- कैंसरयुक्त ट्यूमर
- एंटीबायोटिक्स के साथ ही हाई ब्लड प्रेशर के इलाज और दौरे पड़ने पर इस्तेमाल होने वाली कुछ दवाओं के कारण
- डिप्थीरिया, टेटनस और DTaP, न्यूमोकोकल व कोविड वैक्सीन के कारण
बुखार का इलाज
अगर आपको बुखार बहुत अधिक नहीं है तो आपके डॉक्टर आपको बुखार उतारने की दवा नहीं देंगे. हल्का-पुल्का यह बुखार उन रोगाणुओं की संख्या को नियंत्रित करने में मददगार साबित हो सकता है, जिनकी वजह से बीमारी होती है. आमतौर पर 102 डिग्री फारेनहाइट से कम शारीरिक तापमान यानी बुखार होने पर दवा की जरूरत नहीं पड़ती है. जब बुखार 102 डिग्री फारेनहाइट से अधिक हो और आपको परेशान महसूस हो रही हो, तभी इलाज की आवश्यकता पड़ती है. 102 डिग्री फारेनहाइट से अधिक बुखार है या बुखार की वजह से आपकी परेशान बढ़ रही हो तो आप एसीटामिनोफेन, पैरासिटामोल, आईबूप्रोफेन जैसी ओवर द काउंटर (केमिस्ट से) दवाएं लेकर आप कुछ राहत महसूस कर सकते हैं. लेबल पर लिखे निर्देशों के अनुसार ही इन दवाओं का सेवन करें या किसी मेडिकल प्रेक्टिशनर से सुझाव लेकर सेवन करें.
ध्यान रहें कि इन दवाओं का अधिक मात्रा में सेवन न करें. इन दवाओं की अधिक खुराक या लंबे समय तक इस्तेमाल से आपकी लिवर और किडनी को नुकसान पहुंच सकता है. इन दवाओं के सेवन से आपका बुखार भले ही उतर जाए. लेकिन कुछ मामूली लक्षण फिर भी रह सकते हैं. एक बार दवा लेने के बाद इसका असर होने में 1-2 घंटे तक लग सकते हैं. अगर आपको बुखार में आराम नहीं मिल रहा है तो तुरंत अपने डॉक्टर से संपर्क करें. इस बात का खास ध्यान रखें कि बच्चों को एस्पिरिन कतई न दें. एस्पिरिन की वजह से बच्चों में दुर्लभ लेकिन बहुत ही घातक विकार ‘रेयेस सिंड्रोम’ हो सकता है.
अगर आपका बुखार ठीक नहीं हो रहा है और लक्षण लगातार बने हुए हैं तो डॉक्टर आपकी बीमारी के कारणों के अनुसार अलग तरह की दवा दे सकते हैं. डॉक्टर द्वारा सही बीमारी का इलाज दिए जाने के बाद आपके लक्षणों में सुधार हो जाएगा. दो माह से कम उम्र के बच्चों को बुखार होने पर अस्पताल में भर्ती करवाकर टेस्ट और इलाज की आवश्यकता पड़ सकती है. इतने छोटे बच्चों में बुखार किसी गंभीर संक्रमण की वजह से हो सकता है और ऐसे में बच्चे को नस के जरिए दवा देने और 24 घंटे निगरानी की जरूरत पड़ सकती है.