गुजरात। सोमवार सुबह विश्व वन्यजीव दिवस के अवसर पर जूनागढ़ जिले में गिर वन्यजीव अभयारण्य में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जंगल सफारी का आनंद लिया। एशियाई शेरों का दीदार किया, वहीं जमकर तस्वीरें खींचीं । रविवार शाम को उन्होंने सोमनाथ मंदिर में भगवान शिव की पूजा-अर्चना की थी। यह 12 ज्योतिर्लिंगों में से सबसे पहला ज्योतिर्लिंग है। सोमनाथ से आने के बाद पीएम मोदी ने सासण में वन अतिथि गृह ‘सिंह सदन’ में रात्रि विश्राम किया।
उन्होंने ‘एक्स’ पर कहा कि सामूहिक प्रयासों की वजह से एशियाई शेरों की आबादी में लगातार वृद्धि देखी गई है। उन्होंने एशियाई शेरों के आवास को संरक्षित करने में आसपास के क्षेत्रों में रहने वाले आदिवासियों और महिलाओं के योगदान की सराहना की।
‘सिंह सदन’ से प्रधानमंत्री जंगल सफारी पर गए, उनके साथ कुछ मंत्री और वन विभाग के वरिष्ठ अधिकारी भी थे। उन्होंने कहा, ‘आज सुबह विश्व वन्यजीव दिवस पर मैं गिर में सफारी पर गया। जैसा कि हम सभी जानते हैं गिर, जंगल के राजा एशियाई शेरों का घर है। गिर आकर मुझे गुजरात के मुख्यमंत्री के रूप में हमारे द्वारा सामूहिक रूप से किए गए काम की कई यादें भी ताजा हो गईं।’
मोदी ने कहा, ‘पिछले कई वर्षों में सामूहिक प्रयासों ने यह सुनिश्चित किया कि एशियाई शेरों की आबादी लगातार बढ़े। एशियाई शेरों के आवास को संरक्षित करने में आदिवासी समुदायों और आसपास के क्षेत्रों की महिलाओं की भूमिका भी उतनी ही सराहनीय है।’
जानकारी के अनुसार केंद्र सरकार ने एशियाई शेरों के संरक्षण के लिए ‘प्रोजेक्ट लॉयन’ के तहत 2,900 करोड़ रुपये से अधिक की राशि मंजूर की है। इन शेरों का एकमात्र निवास स्थान गुजरात है। अभी एशियाई शेर गुजरात के नौ जिलों के 53 तालुकाओं में लगभग 30,000 वर्ग किलोमीटर में निवास करते हैं।
इसके अलावा एक राष्ट्रीय परियोजना के तहत जूनागढ़ जिले के न्यू पिपल्या में 20.24 हेक्टेयर से अधिक भूमि पर वन्यजीवों के चिकित्सीय निदान एवं रोग से बचाव के लिए एक ‘राष्ट्रीय रेफरल केंद्र’ स्थापित किया जा रहा है। संरक्षण प्रयासों को मजबूत करने के वास्ते सासण में वन्यजीव निगरानी के लिए उच्च तकनीक से युक्त निगरानी केंद्र और एक अत्याधुनिक अस्पताल भी स्थापित किया गया है।
इससे पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को रिलायंस जामनगर रिफाइनरी परिसर में स्थित पशु बचाव, संरक्षण और पुनर्वास केंद्र ‘वनतारा’ का भी दौरा किया। यह बचाव केंद्र बंदी हाथियों और वन्यजीवों के कल्याण के लिए समर्पित है, जो दुर्व्यवहार और शोषण से बचाए गए जानवरों को शरण, पुनर्वास और चिकित्सा देखभाल प्रदान करता है।