अंबिकापुर। छत्तीसगढ़-झारखंड सीमा में सक्रिय नौ नक्सलियों ने बलरामपुर पुलिस अधीक्षक के सामने आत्मसमर्पण किया है। इनमें से 3 नक्सली बंदूक और एक किलो आईईडी के साथ पहुंचे थे। इन तीनों को एके 47 के साथ ही अन्य रायफल चलाने की भी ट्रेनिंग दी गई थी। सरेंडर करने वाले नक्सलीं पुंदाग, पचफेड़ी, चुनचुना, पिपरढाब के निवासी हैं।
आत्मसमर्पण करने वाले नक्सलियों में अखिलेश उर्फ अजय कोरवा, अखिलेश कोरवा उर्फ मिथलेश, जंगली कोरवा उर्फ विक्रम कोरवा, वीरसाय कोरवा, दिनेश कोरवा, जयप्रकाश कोरवा उर्फ निर्मल, झालू कोरवा उर्फ प्रवीण, जवाहिर, सुनवा कोरवा शामिल हैं।
एसपी मोहित गर्ग ने बताया कि अखिलेश कोरवा 2008 में नक्सली दस्ते में शामिल हुआ था। इसके बाद 2017-18 तक सक्रिय रहा। झारखंड के बूढ़ा पहाड़ में उसे प्रशिक्षण दिया गया था। नक्सली दस्ते में उसे वर्दी व रायफल दी गई थी। 2018 में जोनल कमांडर नवीन के दस्ते में एंट्री हुई। ट्रेनिंग के बाद उसे एके 47 दी गई थी। वह 2020 में नक्सली दस्ते से भाग निकला था। जंगली कोरवा उर्फ विक्रम 2017 में नक्सली संगठन में शामिल हुआ, 2020 में वह बंदरचुआं एवं भूताही में जेसीबी व मशीनें जलाने में सक्रिय रहा। जंगली आईईडी लगाने में भी शामिल रहा है। साल 2020 में वह संगठन छोड़कर भाग निकला। नक्सली वीरसाय कोरवा 2012 में नक्सली दस्ते में एंट्री की और दो साल तक सक्रिय रहा। नक्सलियों ने इसे भी रायफल दे रखी थी। पुलिस मुठभेड़ के दौरान झारखंड में एक साथी के मारे जाने के बाद वह डर गया। इसके बाद वह नक्सली दस्ते को छोड़कर भाग गया।
इनके अलावे दिनेश कोरवा करीब एक वर्ष तक नक्सली दस्ते में सक्रिय रहा। उसे बंकर बनाने, सामान ढोने का काम नक्सलियों ने सौंपा था। बाद में वह दस्ते से भाग गया। जयप्रकाश कोरवा महज 15 वर्ष की उम्र में नक्सली दस्ते में शामिल हुआ और तीन साल तक नक्सलियों के साथ सक्रिय रहा। वहीं वर्ष 2021 में शामिल हुए झालू कोरवा कुछ माह तक दस्ते के साथ रहा। नक्सली उसे संतरी ड्यूटी एके 47 रायफल के साथ कराते थे वहीं जवाहिर खैरबार 2017 में नक्सली दस्ते में शामिल हुआ था।
एसपी मोहित गर्ग ने बताया कि छत्तीसगढ़ व झारखंड पुलिस नक्सलियों के खिलाफ लगातार कार्रवाई कर रही है। बूढ़ापहाड़ पर की गई कार्रवाई से ये सभी नक्सली भयभीत थे। इससे पूर्व भी सात नक्सलियों ने आत्मसर्मण किया था जिससे प्रभावित होकर इन्होंने सरेंडर किया है।
