इस्लामाबाद। कंगाल पाकिस्तान को कर्ज देकर IMF टेंशन में आ गया है। अब आईएमएफ को डर सताने लगा है कि कहीं पाकिस्तान को दिए पैसे डूब न जाए, इसलिए संस्था ने एक बड़ा कदम उठाया है। पाकिस्तान को कुछ दिनों पहले इंटरनेशनल मॉनेटरी फंड (IMF) से 1 बिलियन डॉलर का कर्ज मिला था। आतंकियों को पोषित करने वाले पाकिस्तान को पैसे दिए जाने पर आईएमएफ की कार्यवाही पर सवाल खड़े होने लगे थे। वहीं, अब आईएमएफ को भय हो गया है कि कहीं पाक को दिए पैसे डूबती खाते में न चला जाए।
यही वजह है कि बेलआउट पैकेज की अगली किस्त जारी करने से पहले 11 नई शर्तें लगाई हैं। साथ ही भारत को लेकर कड़ी चेतावनी भी दी है। अगर पाकिस्तान इन शर्तों को नहीं मानता है, तो भविष्य में पाकिस्तान का आर्थिक दिवालिया घोषित होना तय है।
0 आईएमएफ ने पाकिस्तान पर लागू की ये शर्तें
2. बिजली बिलों पर डेब्ट सर्विसिंग सरचार्ज में बढ़ोतरी की शर्त रखी गई है। जिसके तहत पाकिस्तान को बिजली बिलों में कर्ज चुकाने के लिए लगने वाले सरचार्ज की ऊपरी सीमा (3.21 रुपये प्रति यूनिट) को हटाने के लिए कानून बनाना होगा। जिसकी समयसीमा जून 2025 तक तय की गई है।
3. वहीं तीन साल से अधिक पुराने कारों के आयात पर प्रतिबंध हटाने की भी शर्त रखी गई है। जिसके लिए संसद में कानून लाकर पुरानी कारों के कमर्शियल आयात पर लगी सभी 3 साल की सीमाओं को हटाना होगा।
4. साथ ही, प्रांतों को कृषि आयकर कानून लागू करने के लिए शर्त रखी गई है. जिसके तहत पाकिस्तान के सभी प्रांतों को एक ऐसा सिस्टम बनाना होगा, जिसमें कृषि आयकर की रिटर्न फाइलिंग, टैक्सपेयर की पहचान, जागरूकता अभियान और अनुपालन योजना शामिल हो. इसकी भी समयसीमा जून 2025 तय की गई है।
5. इसके अलावा, गवर्नेंस डायग्नोस्टिक रिपोर्ट के आधार पर सुधार योजना बनाने की शर्त रखी गई है. जिसके लिए पाकिस्तान सरकार को IMF द्वारा सुझाए गए गवर्नेंस आकलन के मुताबिक एक सार्वजनिक कार्य योजना बनानी होगी, जिससे भ्रष्टाचार और प्रशासनिक खामियों पर लगाम लगाई जा सके।
6. पाकिस्तान को वित्तीय और नियामक ढांचे के लिए 2028 के बाद का एक स्पष्ट रोडमैप बनाना और प्रकाशित करना होगा. जिससे पाकिस्तान का आर्थिक भविष्य तय हो पाए।
7. बिजली टैरिफ को कॉस्ट रिकवरी लेवल पर बनाए रखने के लिए अधिसूचना जारी करने की शर्त रखी गई है. इसके लिए 1 जुलाई 2025 तक बिजली दरों में सालाना संशोधन की अधिसूचना जारी करनी होगी, ताकि लागत की भरपाई सुनिश्चित हो सके।
8. गैस टैरिफ में छमाही संशोधन लागू करने की शर्त रखी गई है. जिसके लिए शहबाज सरकार को फरवरी 2026 तक गैस टैरिफ में संशोधन की अधिसूचना जारी करनी होगी, ताकि ऊर्जा दरें लागत के अनुसार बनी रहें।
9. पाकिस्तान को शर्त के मुताबिक, कैप्टिव पावर लेवी को स्थायी बनाने के लिए कानून पास कराना होगा. जिसके लिए पाकिस्तान संसद मई 2025 के अंत तक ऐसा कानून पास करना होगा, जिससे कैप्टिव पावर लेवी स्थायी रूप से लागू हो जाए. इससे इंडस्ट्रीज को नेशनल ग्रिड से बिजली लेने के लिए मजबूर किया जा सकेगा।
10. पाकिस्तान को अब स्पेशल टेक्नोलॉजी जोन्स में मिलने वाली छूट को 2035 तक पूरी तरह खत्म करना होगा। ऐसे में पाकिस्तान को इस साल के अंत तक एक रिपोर्ट तैयार करनी होगी, जिसमें बताया जाए कि किस प्रकार 2035 तक टेक्नोलॉजी जोन और औद्योगिक पार्क्स में दी जाने वाली सभी टैक्स और अन्य छूटों को खत्म किया जाएगा।
11. वहीं IMF की आखिरी शर्त, यूज्ड कार्स के आयात से सभी प्रतिबंध हटाने के लिए कानून बनाने के लिए है. जिसके तहत सरकार को संसद में वह सभी कानून लाने होंगे, जिससे कमर्शियल उपयोग के लिए पुरानी कारों के आयात पर लगे सभी प्रतिबंध खत्म किए जा सकें।
रक्षा बजट में लगातार बढ़ोतरी कर रहा पाकिस्तान- महंगाई और कमजोर अर्थव्यवस्था की मार झेल रहा पाकिस्तान लगातार अपने रक्षा बजट में बढ़ोतरी कर रहा है। पाकिस्तान का आगामी रक्षा बजट 2,414 अरब रुपये है, जो पिछले वर्ष से 12 प्रतिशत अधिक है। हालांकि, शहबाज सरकार ने इस महीने की शुरुआत में 2,500 अरब रुपये (18 प्रतिशत वृद्धि) की है। आशंका है कि पाकिस्तान के इस फैसले पर आईएमएफ नाराजगी जाहिर कर सकता है।
आतंकवादियों को फंडिंग दे रही पाकिस्तान सरकार- भले ही आईएमएफ ने पाकिस्तान को 1 बिलियन डॉलर का कर्ज दे दिया, लेकिन भारत का कहना है कि पाकिस्तान इस पैसे का गलत इस्तेमाल करने वाला है। हाल ही में पाकिस्तान के मंत्री तनवीर हुसैन ने मुरीदके का दौरा किया था। मुरीदके उन नौ आतंकी ठिकानों में से एक है, जहां ऑपरेशन सिंदूर (Operation Sindoor) को अंजाम दिया गया। हुसैन ने कहा था कि सरकार अपने खर्च पर इस इलाके को पुननिर्माण करेगी।
हुसैन के इस बयान के बाद भारत ने नाराजगी जाहिर की थी। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा था कि पाकिस्तान को किसी भी प्रकार की वित्तीय सहायता देना आतंकवाद को फंडिंग करने से कम नहीं है।
भारत से तनाव को लेकर दी चेतावनी- IMF ने स्पष्ट किया है कि भारत-पाकिस्तान के बीच हालिया सैन्य तनाव, विशेष रूप से भारत की ओर से किए गए ‘ऑपरेशन सिंदूर’ और पाकिस्तान के जवाबी प्रयासों ने जोखिम बढ़ा दिया है। हालांकि बाजार में प्रतिक्रिया अभी सीमित रही है, लेकिन IMF ने चेताया है कि यदि तनाव और बढ़ता है तो इससे पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था और IMF के साथ उसके प्रोजेक्ट गंभीर रूप से प्रभावित हो सकते हैं। ऐसे में माना जा रहा है कि पाकिस्तान की हालत बद से बदतर होना तय है। जिसकी वजह IMF की 11 नई शर्तें हैं। इसके लिए पाकिस्तान को कई कड़े फैसले लेने होंगे, जिसके चलते देशभर में व्यापक विरोध प्रदर्शन हो सकते हैं। साथ ही, राजनीतिक उथल-पुथल भी बढ़ जाएंगे। वैसे भी, भारत की आतंक पर स्ट्राइक के बाद पाकिस्तान चौतरफा घिर चुका है।