प्रयागराज। प्रयागराज में राजेंद्र केसरवानी के घर से चीखने-चिल्लाने की आवाज आई। आसपास के लोग बाहर निकले तो देखा कि राजेंद्र के घर से बड़ी संख्या में लोग बाहर निकल रहे हैं। कुछ लोगों के हाथ में अंशिका की लाश थी। कोई कुछ समझ पाता इससे पहले मकान से आग की लपटें उठने लगीं। अंशिका के शव को घर के सामने सड़क पर रखकर मायके वाले हंगामा करने लगे।
मुट्ठीगंज के सत्तीचौरा तिराहे पर सोमवार देर रात विवाहित अंशिका केसरवानी की मौत के बाद उसके सास-ससुर को जिंदा जला दिया गया। लाठी-डंडे व पटरा लेकर मृतका के मायके वालों के साथ पहुंचे 60-70 लोगों ने मकान में घुसकर सास-ससुर व ननद को अधमरा कर दिया। तीसरे मंजिल पर बने कमरे में तीनों को बंद करने के साथ ही ग्राउंड फ्लोर पर दुकान के शटर में बाहर से ताला जड़कर घर में आग लगा दी।
16 वर्षीया ननद शिवानी तो बालकनी फांदकर अपने चाचा राजेश के घर पहुंच गई, लेकिन उसके माता-पिता आग की लपटों में समा गए। देर रात तीन बजे फायरकर्मियों ने आग पर काबू पाया तो दोनों के शव को बाहर निकाला गया।
सत्तीचौरा तिराहे पर रहने वाले फर्नीचर व्यवसायी राजेंद्र केसरवानी के पुत्र अंशु केसरवानी की शादी पिछले वर्ष 13 फरवरी को झलवा की रहने वाली 27 वर्षीया अंशिका के साथ हुई थी। सोमवार देर रात करीब 11ः15 बजे राजेंद्र केसरवानी के घर से चीखने-चिल्लाने की आवाज आई। आसपास के लोग अपने घरों से बाहर निकले तो देखा कि राजेंद्र के घर से बड़ी संख्या में लोग बाहर निकल रहे हैं। कुछ लोगों के हाथ में अंशिका की लाश थी। कोई कुछ समझ पाता, इससे पहले मकान से आग की लपटें उठने लगीं। अंशिका के शव को घर के सामने सड़क पर रखकर मायके वाले हंगामा करने लगे।
आरोप लगाया कि दहेज के लिए सास-ससुर, पति व ननद ने मिलकर अंशिका को मार डाला। उसके शव को फंदे से लटका दिया। रात लगभग 11 बजे फोन कर सूचना दी कि अंशिका ने दोपहर तीन बजे फंदे से लटककर जान दे दी है। इतना ही नहीं, यह भी आरोप लगाया कि वह चौथे मंजिल पर जब अंशिका का शव फंदे से उतार रहे थे, तब उनको जलाने के लिए घर में आग लगा दी। लेकिन वह बाल-बाल बच गए।
लोगों को उनकी बातों पर यकीन भी हुआ, लेकिन करीब चार घंटे बाद देर रात तीन बजे जब फायरकर्मियों ने आग पर काबू पाया और पुलिस कर्मी मकान में दाखिल हुए तो पूरा मामला ही पलट गया। चौथे मंजिल पर 65 वर्षीय राजेंद्र और 62 वर्षीया उनकी पत्नी शोभा की जली लाश पड़ी थी। पुलिस को पता चला कि घर में राजेंद्र की बेटी शिवानी भी थी। एक-एक कमरे में उसकी तलाश हुई, लेकिन वह नहीं मिली। इसी बीच अचानक वह अपने चाचा-चाची के साथ सत्तीचौरा तिराहे की तरफ से विलाप करते हुए घर की तरफ आई। उसके एक हाथ में गंभीर चोट थी। पुलिस को बताया कि भाभी (अंशिका) के मायके वाले 60-70 की संख्या में घर में घुसे। सभी लाठी-डंडे व पटरा से लैस थे। मम्मी-पापा और मुझे पीटने लगे। उस समय भईया (अंशु) मुट्ठीगंज थाने भाभी की मौत की सूचना देने गए थे। हमलावरों ने पिटाई करने के बाद चौथे मंजिल पर बने कमरे में बंद कर दिया। पेट्रोल छिड़ककर घर में आग लगा दी। चीख पुकार सुनकर बगल में रहने वाले चाचा राजेश केसरवानी का बेटा बालकनी से कूदकर उनके यहां पहुंचा और कुंडी को खोला। मम्मी-पापा के साथ वह बाहर निकली। चचेरे भाई के साथ वह बालकनी फांदकर चाचा के यहां पहुंच गई, लेकिन मम्मी-पापा पिटाई के कारण चलने लायक नहीं थे और उनकी मौत हो गई।