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गुजरात से अयोध्या पहुंचा 1100 किलो का दीपक, 501 किलो घी से जलेगी ज्योति, महाराष्ट्र से घी

अयोध्या। अयोध्या में श्रीराम विराजमान होने वाले हैं। देश-दुनिया से प्रभु श्रीराम के इस खास दिन को और खास बनाने के लिए सामान पहुंच रहा है। अब गुजरात से एक खास दीपक पहुंचा है। इस दीपक का भार 11 सौ किलोग्राम है। वहीं महाराष्ट्र के नासिक निवासी बालकृष्ण कापसे अपनी गौशाला से ढाई क्विंटल गाय का घी लेकर पहुंचे हैं।

गुजरात से विहिप के धर्म यात्रा महासंघ के क्षेत्र संयोजक शैलेष शुक्ला की अगुवाई में 11 सौ किलोग्राम का श्रीराम दीप अयोध्या पहुंचा है। कारसेवकपुरम में दीप के साथ से वहां से आए भक्तों का भी स्वागत हुआ। दीप विशेष आकार का है। इसमें एक बार में 501 किलोग्राम घी डाला जा सकेगा। 15 किलोग्राम की रुई की बाती लगी है। शैलेष ने बताया कि इस दीप का निर्माण अरविंद भाई पटेल ने कराया है। ये दीप खास है क्योंकि एक बार जलाने पर ये दीप कई घंटों तक जलता रहेगा।

दीपक की है ये खासियत

यह स्टील निर्मित है। भीतरी हिस्से में पीतल की परत है। उन्होंने बताया कि इस दीपक को एक बार प्रज्वलित करने पर यह 45 दिन तक नियमित रूप से जलेगा। इसके अतिरिक्त कारसेवकपुरम की रसोई में प्रयुक्त करने के लिए 108 लीटर मूंगफली का तेल भी आया है।

नासिक से अयोध्या पहुंचा देसी घी

महाराष्ट्र के नासिक निवासी बालकृष्ण कापसे अपनी गौशाला से ढाई क्विंटल गाय का घी व रामलला के दरबार के लिए सोने, चांदी जड़ित वस्त्र लेकर यहां पहुंचे। घी का प्रयोग प्राण प्रतिष्ठा समारोह में होने वाली पहली आरती में होगी। उन्होंने इसे श्रीरामजन्मभूमि तीर्थ ट्रस्ट के महासचिव चंपतराय को भेंट किया।

ट्रस्ट ने स्वीकार किया घी

बालकृष्ण कापसे ने बताया कि उनकी इच्छा है कि जब प्रभु श्रीराम अपने भव्य रामलला के मंदिर में विराजेंगे तो उनकी पहली आरती इसी से हो। ट्रस्ट ने इसे स्वीकार किया है। सोने-चांदी से जड़ित वस्त्रों का निर्माण दिव्यांगजनों ने अपने गुरू की प्रेरणा से किया है। बालकृष्ण कापसे ने बताया कि वे अपने गुरु स्वामी रघुनाथ देशिक की प्रेरणा से यहां आए हैं। बताया कि भगवान राम, उनके भाइयों, माता सीता और हनुमान जी के लिए भी रेशम के वस्त्र लाए हैं। इसे मराठी में पैठणी कहा जाता है। साथ ही गोमूत्र ,गोघृत, उपले, गोबर के दिये और अन्य पूजा सामग्री आई है।

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