उडीसा। पूरी के श्री जगन्नाथ मंदिर ट्रस्ट ने कुशल सपेरे खोजने का काम शुरु कर दिया हैं। दरअसल 14 जुलाई को मंदिर के रत्न भंडार खजाने को खोला जाना हैं। कहा जाता हैं कि प्राचीन मंदिरों में जहां सोना, चांदी, रत्न खजाना रखा होता हैं, उसकी रक्षा किंग कोबरा जैसे सांप करते हैं।
ऐसी मान्यताओं को ध्यान में रखते हुए श्री जगन्नाथ मंदिर प्रशासन पूरी तरह से गंभीर औऱ सतर्क हैं। किसी प्रकार की अनहोनी घटना घटित न हो जाये इसलिए खजाना सपेरों की उपस्थिति में खोले जाने की बात कर रहा हैं। बताया जा रहा हैं कि इस दौरान डॉक्टरों की पूरी टीम मेडिकल किट के साथ वहां मौजूद रहेगी, ताकि चुनोतीपूर्ण समस्या से निपटा जा सके।
एक रिपोर्ट के मुताबिक मंदिर प्रशासन के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि हमने सरकार को रत्न भंडार को खोले जाने के वक्त की एक ऐहितयात सूची सौंपी है। इसमें सपेरों और डॉक्टरों की टीम की व्यवस्था करने का आग्रह किया गया है। मान्यता है कि रत्न भंडार की सुरक्षा किंग कोबरा जैसे विषधारी करते हैं।
जाने खजाने में क्या है?
श्री जगन्नाथ मंदिर के रत्न भंडार की आखिरी इन्वेंट्री 1978 में हुई थी। श्री जगन्नाथ मंदिर प्रशासन (चैंबर) की ओर से दाखिल एक हलफनामे के अनुसार, रत्न भंडार में तीन कक्ष (चैंबर) हैं। भीतरी कक्ष में रखे आभूषणों का कभी इस्तेमाल नहीं होता। बाहरी कक्ष के आभूषणों को त्योहारों के अवसर पर निकाला जाता है। देवताओं के दैनिक अनुष्ठानों के लिए वर्तमान कक्ष में रखे आभूषणों का उपयोग किया जाता है। हलफनामे के अनुसार, भीतरी कक्ष में 50 किलो 600 ग्राम सोना और 134 किलो 50 ग्राम चांदी है। बाहरी कक्ष में 95 किलो 320 ग्राम सोना और 19 किलो 480 ग्राम चांदी है। वर्तमान कक्ष में 3 किलोग्राम 480 ग्राम सोना और 30 किलोग्राम 350 ग्राम चांदी है।