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जार्ज फर्नांडिस की पत्नी लैला कबीर का निधन.. जार्ज की जिंदगी में दोबारा आई

नेहरू कैबिनेट में शिक्षा राज्य मंत्री और शिक्षाविद हुमायूं कबीर की बेटी थीं

लैला कबीर ने जॉर्ज फर्नांडिस ने जीवन के अंतिम वर्षों में परिवार से दूरी बनाए रखी थी, लेकिन जब जार्ज अचेत अवस्था में चले गए, तब लैला उन्हें अपने पंचशील मार्ग स्थित घर लाईं। सब पुराने मतभेद भुलाकर, उन्होंने वर्षों तक उनकी सेवा की। बिना शोर के, बिना कोई राजनीतिक लाभ उठाए, उन्होंने प्यार, समर्पण और कर्तव्य की परिभाषा फिर से लिख दी। एक दौर में देश की राजनीति के प्रमुख चेहरों में खास रहे जॉर्ज फर्नांडिस की शादी का किस्सा भी बेहद खास है।

नई दिल्ली। पूर्व रक्षा मंत्री जार्ज फर्नांडिस की पत्नी लैला कबीर का गुरुवार शाम दिल्ली स्थित उनके आवास पर कैंसर से जूझते हुए निधन हो गया। वह 88 वर्ष की थीं। शुक्रवार को ग्रीन पार्क में उनके पार्थिव शरीर का अंतिम संस्कार किया गया। लैला को करीब दो साल पहले आंतों के कैंसर का पता चला था और वह ठीक हो गई थीं, लेकिन हाल ही में उनकी तबीयत बिगड़ गई। अपने अंतिम दिनों में लैला ने कहा कि वह अस्पताल नहीं जाना चाहतीं। उनका बेटा सीन उर्फ शांतनु गुरुवार को अमेरिका से दिल्ली पहुंचे। लैला और जॉर्ज का इकलौता पुत्र अमेरिका में रहता हैं। लैला कबीर एक समर्पित सामाजिक कार्यकर्ता थीं और रेड क्रॉस से लंबे समय तक जुड़ी रहीं। जॉर्ज फर्नांडिस और लैला कबीर की शादी 22 जुलाई 1971 को हुई थी। उनके पिता हुमायूं कबीर देश के पहले शिक्षा राज्य मंत्री थे।

शादी का किस्सा बेहद खास

एक दौर में देश की राजनीति के प्रमुख चेहरों में खास रहे जॉर्ज फर्नांडिस की शादी का किस्सा भी बेहद खास है। कहते हैं कि कोलकाता से दिल्ली जाने वाली फ्लाइट का इंतजार करते हुए जॉर्ज फर्नाडिस को एक युवती दिखी। उन्हें वह कुछ पहचानी सी लगी। युवती रेडक्रॉस में अधिकारी है। किसी युद्ध के मैदान से रेडक्रॉस के काम के बाद अपने घर दिल्ली लौट रही है। जॉर्ज तपाक से युवती की ओर बढ़ते हैं। हाय हैलो के बाद दोनों एक दूसरे को पहचान जाते हैं। ये उनकी दूसरी मुलाकात है। पहली मुलाकात दिल्ली में समाजवादी नेता राममनोहर लोहिया के घर पर किसी कार्यक्रम में हुई थी।

एयरपोर्ट पर ही हाय-हैलो हुई, फिर फ्लाइट में बगल की सीट भी नसीब हो गई। पता चलता है कि लड़की का नाम लैला कबीर है और वह रेडक्रॉस में असिस्टेंट डायरेक्टर है। लैला नेहरू कैबिनेट में शिक्षा राज्य मंत्री और शिक्षाविद हुमायूं कबीर की बेटी थीं। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक जब दिल्ली में विमान उतरा तो जॉर्ज ने लैला को घर तक छोड़ने की बात कही, मगर उन्होंने सिरे से मना कर दिया, फिर धीरे-धीरे दोनों की मुलाकातें होने लगीं। पहली मुलाकात के महज तीन महीने बाद ही 22 जुलाई 1971 को जार्ज फर्नांडिस की लैला से शादी हो गई। लैला से मुलाकात के वक्त जार्ज फर्नांडिस सांसद बन चुके थे। वर्ष 1967 में जब मुंबई लोकसभा सीट से उन्होंने दिग्गज कांग्रेसी नेता एसके पाटिल को हराया था।

जार्ज फर्नांडिस ने अपनी इंगेजमेंट का ऐलान किया तो ‘बैचलर्स इलेवन’उनसे नाराज हो गया

एक किस्सा यह भी है कि जॉर्ज को ‘द ज्वाइंट किलर’ के नाम से जाना गया। उस समय 37 साल के जॉर्ज को देश के मोस्ट एलिजिबल बैचलर्स में गिना जाता था। उन्होंने जिंदगी भर बैचलर रहने की कसम खाने वाला ‘बैचलर्स इलेवन’ का हिस्सा बना रखा था, लेकिन जॉर्ज फर्नांडिस ने लैला कबीर से अपनी इंगेजमेंट का ऐलान किया तो ‘बैचलर्स इलेवन’ उनसे नाराज हो गया। लैला के पिता पंडित नेहरू की कैबिनेट में मंत्री थे, जबकि फर्नांडिस गरीब मजदूरों के बीच रहने वाले इंसान। दोनों में एक चीज समान थी, वो थी गरीबों का दुख दर्द समझना, लीला ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी की पढ़ी हुई थीं, लेकिन सेवा के लिए उन्होंने 150 रुपये महीने की नर्स की नौकरी की।

शादी के 10 वर्ष के भीतर ही जॉर्ज और लैला अलग हो गए

हालांकि शादी के 10 वर्ष के भीतर ही जॉर्ज और लैला अलग हो गए. इसके बाद भी जॉर्ज कहीं भी हों, अपने बेटे के जन्मदिन में शामिल होने हमेशा पहुंचते थे। बेटे की एमबीए ग्रेजुएशन सेरेमनी के लिए वो शिकागो भी गए थे। वर्ष 2002 में जापान में हुई बेटे की शादी में भी शरीक हुए। वर्ष 2009 में अपने पोते को देखकर भी वो काफी खुश हुए थे। इसके बाद उनकी याददाश्त जाती रही।

लैला करीब 25 साल दूर रहने के बाद जॉर्ज की जिंदगी में दोबारा लौट आईं

2010 में लैला करीब 25 साल दूर रहने के बाद जॉर्ज की जिंदगी में दोबारा लौट आईं और उन्होंने कोर्ट के आदेश के जरिए जार्ज के मिलने को केवल 15 दिन में एक बार सीमित कर दिया। जीवन के अंतिम समय में जॉर्ज ने लैला के आवास पर ही जीवन बिताया।

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