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CHHATH PUJA 2023 : इस तारीख से शुरू हो रहा आस्था का महापर्व छठ, जानें किस तिथि को क्या?

हिंदू धर्म में छठ पूजा का विशेष महत्व है । छठ का पर्व कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि पर नहाय खाय से शुरू होता है । पंचमी को खरना, षष्ठी को डूबते सूर्य को अर्घ्य और सप्तमी को उगते सूर्य को जल अर्पित कर व्रत संपन्न किया जाता है।

चार दिनों तक चलने वाले इस पर्व में सूर्य और छठी मैय्या की पूजा की जाती है। यह व्रत संतान की लंबी उम्र, उत्तम स्वास्थ्य और उज्जवल भविष्य की कामना के लिए रखा जाता है। यह सबसे कठिन व्रतों में से एक माना जाता है। 36 घंटों तक कठिन नियमों का पालन करते हुए महिलाएं इस व्रत को रखती हैं।

लोक आस्था का यह महापर्व चार दिन तक चलता है। इसका पहला दिन नहाय-खाय से होता है। इस साल नहाय-खाय 17 नवंबर को है। इस दिन सूर्योदय 06.45 बजे होगा। वहीं सूर्यास्त शाम 05.27 बजे होगा। छठ पूजा की नहाय खाय परंपरा में व्रती नदी में स्नान के बाद नए वस्त्र धारण कर शाकाहारी भोजन ग्रहण करते हैं, इस दिन व्रती के भोजन ग्रहण करने के बाद ही घर के बाकी सदस्य भोजन ग्रहण करते हैं।

छठ पूजा का दूसरा दिन खरना होता है। इस साल खरना 18 नवंबर को है। इस दिन का सूर्योदय सुबह 6 बजकर 46 मिनट पर और सूर्यास्त शाम 5 बजकर 26 मिनट पर होगा। खरना के दिन व्रती एक समय मीठा भोजन करते हैं, इस दिन गु़ड़ से बनी चावल की खीर खाई जाती है। इस प्रसाद को मिट्टी के नए चूल्हे पर आम की लकड़ी से आग जलाकर बनाया जाता है। इस प्रसाद को खाने के बाद व्रत शुरू हो जाता है। इस दिन नमक नहीं खाया जाता है।

छठ पूजा का तीसरा दिन संध्या अर्घ्य का होता है। इस दिन छठ पर्व की मुख्य पूजा की जाती है। व्रती महिलाएं घाट पर आते हैं और डूबते सूर्य को अर्घ्य देते हैं। छठ पूजा का संध्या अर्घ्य 19 नवंबर को दिया जाएगा। 19 नवंबर को सूर्यास्त शाम 05 बजकर 26 मिनट पर होगा। बता दें किए छठ पूजा का तीसरा दिन बहुत खास होता है। इस दिन टोकरी में फलों, ठेकुआ, चावल के लड्डू आदि सेअर्घ्य के सूप को सजाया जाता है। इसके बाद नदी या तालाब में कमर तक पानी में रहकर डूबते सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है।

चौथा दिन यानी सप्तमी तिथि छठ महापर्व का अंतिम दिन होता है। इस दिन उगते सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है। इस साल 20 नवंबर को उगते सूर्य को अर्घ्य दिया जाएगा। इस दिन सूर्योदय 06 बजकर 47 मिनट पर होगा। इसके बाद ही 36 घंटे का व्रत समाप्त होता है। माना जाता है कि छठ पूजा में तन-मन की शुद्धता बहुत जरूरी है। अर्घ्य देने के बाद व्रती प्रसाद का सेवन करके व्रत का पारण करती हैं।

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