कोरबा। दुनिया का सबसे ज्यादा जहरीला किंग कोबरा एक बार फिर जिले में देखा गया है। इसे नागराज के नाम से भी जाना जाता हैं, इसका वैज्ञानिक नाम वहीं इसे स्थानीय भाषा में पहाड़ चित्ती के नाम से भी जाना जाता हैं। इसकी लम्बाई लगभग 5 से 6 मीटर तक होती है। सांपों की यह प्रजाति दक्षिणपूर्व एशिया एवं भारत के कुछ भागों में पाई जाती है। एशिया के सांपों में यह सर्वाधिक खतरनाक सापों में से एक है। इसकी लंबाई 20 से 21 फिट तक हो सकती है तथा यह भारत के दक्षिण क्षेत्रों में बहुतायात में पाया जाता है। वर्तमान में छत्तीसगढ़ राज्य के कोरबा जिले में भी इनकी प्रजाति मौजूद है। जोकि इस बात को दर्शाता हैं कि छत्तीसगढ़ कोरबा जिले का जंगल जैव विविधता से भरा हुआ है, जिसे बचाने की आवश्यकता हैं।
कुछ वर्षों में कोरबा जिले के अलग- अलग क्षेत्रों में किंग कोबरा की मौजूदगी देखी जा रही है जोकि जिले के साथ प्रदेश के लिए बड़े गर्व का विषय हैं। हाल ही में वन विभाग के द्वारा किंग कोबरा का सर्वे कराया गया, जिसमें पाया गया कि किंग कोबरा बहुत लम्बे समय से मौजूद हैं। उनके लिए कोरबा का जंगल बहुत ही अनुकूल वातावरण प्रदान करता हैं। लम्बे समय बाद एक बार फिर कोरबा में किंग कोबरा दिखाई दिया है। मामला कोरबा से 40 किलोमीटर दूर गांव सोलवा पंचायत के छुईढोढा में सामने आया है। कुछ ग्रामीण समीप ही बाड़ी में महुआ बीनने के लिए गए हुए थे। इसी दौरान लंबा किंग कोरबा दिखाई पड़ा। उसे देख ग्रामीणों के हाथ पैर फूल गए। विशालकाय किंग कोबरा (पहाड़ चित्ती) सांप फन फैलाकर बैठा हुआ था। कोबरा को देख सभी ग्रामीण सिर पर पांव रखकर गांव की तरफ भागे। किंग कोरबा की खबर गांव में आग की तरह फैल गई। कुछ ही देर में मौके पर भीड़ एकत्र होने लगी।
जागरूक कुछ ग्रामीणों ने इसकी जानकारी ने वन विभाग को दी। सूचना मिलते ही वन अमला मौके पर पहुंचा। पहले तो भीड़ को खाली कराया गया। फिर वन विभाग के रेस्क्यू टीम सदस्य जितेन्द्र सारथी को इसकी जानकारी दी गई, जिसके फौरन बाद जितेन्द्र सारथी ने कोरबा डीएफओ अरविंद पीएम सर को इसकी जानकारी दी। इसके बाद रेस्क्यू टीम मौके पर रवाना हुई। मौका स्थल पर 11 फीट किंग कोबरा दिखाई पड़ा। वन विभाग के उच्च अधिकारियों के मजूदगी में रेस्क्यू किया गया और गांव से दूर इसके प्राकृतिक स्थल पर छोड़ा गया। तब जाकर सभी ने राहत की सांस ली। विभाग ने लोगों को सर्प को नहीं मारने की सलाह दी। इसे बचाने के लिए लोगों से अपील की गई।
जिस तरह कोरबा जिले में किंग कोबरा मिल रहे हैं, वन विभाग के साथ समस्त जिले एवं प्रदेश के लिए गौरव का विषय हैं। बस इसको संरक्षण की आवश्यकता है, ताकि इनकी संख्या में वृद्धि हो सके। रेस्क्यू ऑपरेशन में उप वनमण्डलाधिकारी ईश्वर कुजूर, वन परिक्षेत्र अधिकारी पसरखेत श्रीमती तोषीवर्मा, परिक्षेत्र सहायक केशव सिदार, परिसर रक्षक सोल्वा राम नरेश यादव, वन विभाग रेस्क्यू टीम जितेन्द्र सारथी, देवा आशीष राय एवं बड़ी संख्या में गांव के लोग मौजूद थे।
कोरबा डीएफओ अरविंद पी ने की अपील
कोरबा डीएफओ अरविंद पी ने क्षेत्र के लोगों से अपील करते हुए कहा कि कोरबा का जंगल जैव विविधता से भरा हुआ हैं, जिसे बचाना हम सभी का कर्तव्य हैं। साथ ही वन विभाग ने लोगों से अपील करते हुए कहा कि वन्य जीव संरक्षण और रेस्क्यू के लिए विभाग को जानकारी दे, ताकि उनको रेस्क्यू कर सुरक्षित जंगल में छोड़ जा सके। जितेन्द्र सारथी ने बताया हम पर्यावरण संरक्षण के लिए हर पल समर्पित है, रेस्क्यू कॉल आते ही मौके स्थल पर पहुंचकर रेस्क्यू के पश्चात पुनः जंगल में छोड़ देते हैं, ताकि पारिस्थितिकीय तंत्र बना रहें।
कोल ब्लॉक से जैव विविधता पर ग्रहण
जानकारी के अनुसार कोरकोमा, बताती, बरपाली, जिल्गा समेत पांच कोल ब्लॉकों की नीलामी होगी। केन्द्र सरकार की एजेंसी एमएसटीसीई कामर्स ने शुक्रवार को सूचना जारी की है। इसमें कोरबा के बरपाली-करमीटिकरा, बताती- कोलगा ईस्ट, बताती- कोलगा नार्थ वेस्ट, जिल्गा बरपाली, कोरकोमा व रायगढ़ जिले के बायशी वेस्ट, गोरही-मंडलोई, बिजना जोबरो वेस्ट, जोबरो ईस्ट, बलरामपुर के सोंदिया व सूरजपुर के तारा कोल ब्लॉक को भी शामिल किया गया है। इसके अलावा तेेंदमुरी, सेंदुर, फतेहपुर साउथ, करमगढ़ कोल ब्लॉक शामिल किए गए हैं। इन सभी कोल ब्लॉक में सभी ग्रेड के कोयलेे मौजूद हैं। दूसरी ओर कोल ब्लॉक खुलने से जैव विविधता पर भी ग्रहण लगने की पूरी संभावना है।
गर्मी में उचित वातावरण की करते हैं तलाश
रेस्क्यू टीम के सदस्य देवाशीष राय ने बताया कि गर्मी की वजह से जंगल में पानी की कमी हो रही है। ऐसे में किंग कोबरा उचित रहवास की तलाश में रहते हैं। जहां उन्हंे आसानी से पानी मिल सके। अभी उनका मिटिंग टाईम है। जुलाई के माह में किंग कोरबा अंडा देते हैं और अंडे में से 90 दिन बाद बच्चा निकलता है। किंग कोबरा का मिलना जिले के लिए गौरव की बात है। किंग कोबरा के संरक्षण को लेकर अब तक कोई ठोस पहल नहीं की गई है।
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