Home » खास खबर: भीषण गर्मी में किया जा रहा बेघर, रेलवे प्रशासन की तानाशाही, 25 अप्रैल तक की दी मोहलत
कोरबा

खास खबर: भीषण गर्मी में किया जा रहा बेघर, रेलवे प्रशासन की तानाशाही, 25 अप्रैल तक की दी मोहलत

कोरबा। आम तौर पर देखा गया है कि अस्थाई रूप से जमीन पर काबिज लोगों को बरसात या फिर भीषण गर्मी मंे बेघर करने की कार्रवाई की जाती है। ऐसे में परिवार के साथ जीवन बसर करने वाले लोगों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है। हाल ही में रेलवे प्रशासन ने अपनी जमीन को बेजा कब्जा से मुक्त करने का अभियान छेड़ दिया है। रेलवे लाईन के बगल में रहने वाले लोगों को 25 अप्रैल तक की मोहलत दी गई है। भीषण गर्मी में रेलवे प्रशासन की परेशानी से जमीन पर काबिज लोग परेशान हैं। रेलवे प्रशासन ने इस बात का ध्यान भी नहीं रखा कि भीषण गर्मी में लोग बेघर होकर कहां जाएंगे। उनके सामने बसाहट की समस्या उत्पन्न हो गई है। कई लोग रेलवे लाईन के किनारे लंबे समय से बसे हुए हैं। यहां रहने वाले लोगों ने पक्का मकान भी नहीं बनाया है। ऐसे में लोगों को जमीन खाली करने का नोटिस थमा दिया गया है।  जरूरतमंद लोगों ने कपड़ा, टीना शेड आदि से सिर ढंकने की व्यवस्था की है। उन्हें मालूम है कि यह जमीन उनकी नहीं है। इधर रेल प्रशासन लंबे समय बाद नींद से जागा है।बताया जा रहा है कि नोटिस दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे के कोरबा रेलखंड के वरिष्ठ सेक्शन इंजीनियर (रेल पथ) आलोक कुमार ने 10 अप्रैल को संजय नगर रेलवे क्रासिंग के समीप रेलवे लाइन के किनारे बसे 28 से अधिक लोगों को दी है। वरिष्ठ सेक्शन इंजीनियर ने नोटिस में चेतावनी दी है कि 15 दिन के भीतर अपना कब्जा हटा लें, अन्यथा रेलवे द्वारा बेदखली की कार्यवाही की जाएगी। कार्यवाही के दौरान होने वाले नुकसान के लिए रेलवे जिम्मेदार नहीं होगा। प्रभावितों ने बताया कि वे 25 साल यहां रह रहे हैं। अब उस जमीन को खाली कराने की जरूरत क्यों पड़ रही है, जोकि समझ से परे है। प्रभावितों का कहना है कि वे किसी भी हालत में अपना कब्जा नहीं हटाएंगे। उसके बाद भी कोई जोर जबरदस्ती की गई, तो वे धरना प्रदर्शन करने को बाध्य होंगे।चेहरा देखकर थमाई गई नोटिसक्षेत्र के लोगों का कहना है कि रेलवे के अधिकारियों ने चेहरा देखकर नोटिस थमा दिया हैं। संजय नगर व उषा कांप्लेक्स के बीच रेलवे लाइन के किनारे रेलवे की जमीन पर बड़े-बड़े लोगों का कब्जा है। पक्के मकान भी बना लिए गए हैं। लेकिन उन्हें नोटिस नहीं थमाया गया है। मजबूर व वेबश लोग जो रोज कमाते खाते हैं और झोपड़ी बनाकर रखे हुए हैं, उन्हें नोटिस दिया गया है।जमीन रेलवे की है या फिर सिंचाई विभाग कीज्ञात हो कि नहर निर्माण के लिए सिंचाई विभाग ने जमीन का अधिग्रहण वर्षो पूर्व किया था। जानकारी के अनुसार सिंचाई विभाग की जमीन नहर से सौ मीटर तक अधिग्रहित की गई है। नहर के ठीक बगल में कुछ लोगों ने सिंचाई विभाग की जमीन पर कच्चे पक्के आवास का निर्माण किया है। रेलवे के अधिकारी कर्मचारियों ने रेलवे कार्यालय के पीछे बुलडोजर चलाकर जमीन समतल करने का कार्य किया था, ताकि रेलवे का भवन बनाया जा सके। यहां विवाद इस बात को लेकर है कि जमीन रेलवे की है या फिर सिंचाई विभाग की। रेलवे आवास के पीछे कुछ पट्टे वाली सिंचाई विभाग की शेष जमीनें भी हैं, जो अधिग्रहित नहीं हुई है और राजस्व विभाग में भी दर्ज हैं। रेलवे के अधिकारियों ने उन जमीनों को भी रेलवे का बताया था। भूमि स्वामियों ने राजस्व विभाग से दस्तावेज लाकर इन अधिकारियों को दिखा दिया है।

Search

Archives