कोरबा। लंबे समय से जिले के एसबीआई खाता धारकों को परेशान होना पड़ रहा है। मोबाईल से ऑनलाईन लेन देन करने में परेशानी हो रही है। मोबाईल से फोन पे नहीं होने पर खाता धारक एटीएम कार्ड का इस्तेमाल करते है, लेकिन यहां भी उन्हें निराश होना पड़ रहा है।
ऐसा ही एक मामला रविवार को सुबह सामने आया है। खाता धारक ऑनलाईन पेमेंट करने गया था, लेकिन पेमेंट नहीं हुआ। वहां से बिना सामान लिए वापस लौटना पड़ा। यहां यह बताना जरूरी होगा कि ऑनलाईन सुविधा मिलने के बाद अधिकांश लोग कैश नहीं रखते, वे आश्वस्त रहते हैं कि पैसों की जरूरत पड़ने पर फोन पे कर सकते है, लेकिन एन वक्त पर लिंक फेल हो जाता है। चूंकि इंटरनेट के जरिए फोन बैंक से कनेक्ट रहता है। ऐसे मे ंऑनलाईन सुविधा को दुरूस्त करना जरूरी हो जाता है। बैंक प्रबंधन को चाहिए कि खाता धारकों की शिकायतों को गंभीरता से लें और निराकरण करें।
केवाईसी के नाम पर कर दिया परेशान
जानकारी के अनुसार बैंकों में प्रतिवर्ष खाताधारकों से केवायसी जमा कराया जाता है। इस दौरान कई उपभोक्ता व्यस्त रहते हैं। उन्हें संबंधित बैंक से पत्र भेजा जाता है कि आधार सहिंत अपना विवरण जमा करे। खाताधारकों ने शिकायत की है कि केवायसी के नाम पर भी खाते को ब्लॉक कर दिया जाता है, ताकि खाताधारक अपना केवायसी जमा करें। इस दौरान खाते से लेनदेन बंद हो जाता है। गौर करने वाली बात यह है कि खाता धारक जब अपना नया खाता खोलने पहुंचता है तो वह अपनी सारी जानकारी बैंक को देता है, ताकि उसका पैसा बैंकों में सुरक्षित रहे। इसके बावजूद हर साल उन्हें अपने जीवित होने का प्रमाण देना पड़ता है। खाते में अगर लेनदेन हो रहा हो तो समझ लेना चाहिए कि खाता धारक सुरक्षित और जीवित है।
संयुक्त खातेदार में एक का निधन दूसरा जीवित
जिले की एक एसबीआई बैंक शाखा में एक परिवार के दो सदस्यों का संयुक्त खाता है। इनमें से एक का निधन हो गया है और दूसरा जीवित है। दूसरा खातेदार बैंक गया था। उसने अधिकारी से निवेदन किया कि मां का निधन हो गया है और खाता संयुक्त है। इसे मेरे नाम से एकल खाता बनाकर जीवित रखा जाए। यह खाता ऐसा है कि मां और बेटे दोनों रकम निकाल सकते हैं। अब अधिकारी ने कहा कि मां का मृत्यु प्रमाण पत्र लेकर आ जाओ। इस पर बेटे ने कहा कि मृत्यु प्रमाण पत्र नहीं है। पंचनामा की प्रति जमा कर देता हूं। अधिकारी ने कहा प्रमाण पत्र के बिना नहीं हो पाएगा। अब सोचने वाली बात यह है कि जब खाता संयुक्त है और मां बेटे दोनों रकम निकाल सकते हैं तो संयुक्त खाते को सिंगल खाता बनाने में क्या दिक्कत है। यहां हम यह कह सकते है कि व्यक्ति मर चुका है, लेकिन दस्तावेजों में जिविंत हैं।