रायपुर/दुर्ग। पहलगाम आतंकी हमले के बाद भारत-पाकिस्तान के तनाव के बीच केंद्र सरकार ने सात मई को कई राज्यों में मॉकड्रिल कराने के निर्देश दिए हैं। इसी क्रम में भारत-पाक युद्ध के दौरान आपातकालीन स्थिति से बचाव के लिए छत्तीसगढ़ के दुर्ग जिले में आज सात मई को मॉकड्रिल होगी। जिला प्रशासन ने इसके लिये सभी तैयारी कर ली है। इसमें एसडीआरएफ और एनडीआरएफ को अहम जिम्मेदारी सौंपी जाएगी।
मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने इस संबंध में निर्देश दिए हैं कि केंद्र सरकार की ओर से जारी दिशा-निर्देशों का राज्य में पूर्ण पालन किया जाए। उन्होंने कहा कि यह मॉकड्रिल न केवल नागरिक सुरक्षा की तैयारियों की परख का अवसर है, बल्कि जनता को जागरूक करने का भी एक सशक्त माध्यम है। मुख्यमंत्री साय ने अधिकारियों से अपेक्षा की है कि वे इस राष्ट्रीय सुरक्षा अभ्यास को सर्वोच्च प्राथमिकता दें और समयबद्ध में उसका प्रभावी क्रियान्वयन करें।
मॉकड्रिल के दौरान नागरिकों, छात्रों व स्वयंसेवकों को आपातकालीन सुरक्षा प्रशिक्षण, नागरिक सुरक्षा सेवाओं – अग्निशमन सेवाओं की कार्यशीलता का परीक्षण, दुर्घटना की स्थिति में निकासी योजनाओं की प्रभावशीलता का मूल्यांकन, सेना और नागरिक सुरक्षा का समन्वय आदि विषयों पर अभ्यास किया जाएगा।
एशिया के सबसे बड़े संयंत्र यानी भिलाई स्टील प्लांट जैसे राष्ट्रीय महत्व के औद्योगिक संस्थान को देखते हुए छत्तीसगढ़ में दुर्ग में ये मॉकड्रिल होगी। इस दौरान सिविल डिफेंस बलों को मॉकड्रिल करने और नागरिकों को किसी भी हमले से सुरक्षा के उपायों की ट्रेनिंग दी जायेगी। इस दौरान एयर रेड वार्निंग सायरनों का संचालन, आम नागरिकों, छात्रों आदि को किसी शत्रुतापूर्ण हमले की स्थिति में स्वयं की रक्षा के नागरिक सुरक्षा पहलुओं पर प्रशिक्षण दिया जाएगा। त्वरित ब्लैकआउट उपायों की व्यवस्था, महत्वपूर्ण संयंत्रों, संस्थानों की शीघ्र कैमुफ्लाजिंग की व्यवस्था निकासी योजना का अद्यतन एवं उसका पूर्वाभ्यास किया जाएगा।
दुर्ग कलेक्टर अभिजीत सिंह ने कहा कि दुर्ग जिले में मॉकड्रिल होगी। मॉकड्रिल में सिविल डिफेंस से जुड़े लोगों को आपात स्थिति से निपटने का प्रशिक्षण दिया जाएगा। मॉकड्रिल के तहत आपात स्थिति में नागरिकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिये प्रशिक्षण दिया जायेगा। युद्ध या आपदा की स्थिति में पहले मॉकड्रिल कराई जाती है।
इन बातों पर रहेगा फोकस
- हवाई हमले के सायरन की जांच और उसके प्रति जागरुकता का प्रशिक्षण दिया जाएगा।
- हमले की स्थिति में नागरिकों और छात्रों को अलर्ट करना।
- हवाई हमले के दौरान ब्लैकआउट यानी लाइट बंद करने का अभ्यास।
- दुश्मन के विमानों से बचाव के लिए संयंत्रों को ढंकने और छुपाने की ट्रेनिंग।
- हमले के संभावित स्थानों को खाली कराने का रिहर्सल।
54 साल पहले हुई थी आखिरी मॉकड्रिल- नागरिकों की सुरक्षा से संबंधित मॉक ड्रिल बेहद असामान्य कदम है। हाल-फिलहाल में भारत और पाकिस्तान के बीच हुए किसी भी संघर्ष के दौरान ऐसा कोई मॉकड्रिल नहीं किया गया। राज्यों में आखिरी मॉक ड्रिल आज से 54 साल पहले 1971 में हुआ था। तब बांग्लादेश की मुक्ति के लिए हुआ युद्ध भारत-पाकिस्तान के बीच पूर्ण युद्ध में बदल गया था, जो देश की पूर्वी और पश्चिमी दोनों सीमाओं पर लड़ा गया था। उस समय नागरिकों की जान-माल को कम से कम नुकसान पहुंचे, इसके लिए ऐसा अभ्यास किया गया था।