नई दिल्ली। सियाचिन में ड्यूटी के दौरान एक अग्निवीर की मौत हो गई। सेना की लेह स्थित फायर एंड फ्यूरी कोर ने रविवार को यह जानकारी दी। रिपोर्ट के अनुसार लक्ष्मण ड्यूटी के दौरान जान गंवाने वाले देश के पहले अग्निवीर जवान हैं। सेना प्रमुख जनरल मनोज पांडे और बल के सभी रैंक के कर्मियों ने महाराष्ट्र के अग्निवीर गवते अक्षय लक्ष्मण की मौत पर शोक जताया है। काराकोरम पर्वत श्रृंखला में 20 हजार फुट उंचाई पर स्थित सियाचिन हिमनद को दुनिया के सबसे उंचे सैन्य क्षेत्र के रूप में जाना जाता है, जहां सैनिकों को अत्यधिक ठंड और तेज हवाओं से जूझना पड़ता है।
फायर एंड फ्यूरी कोर ने सोशल मीडिया मंच एक्स पर एक पोस्ट में कहा फायर एंड फ्यूरी कोर के सभी अधिकारी सियाचिन की दुर्गम उंचाईयों पर ड्यूटी केे दौरान अग्निवीर (ऑपरेटर) गवते अक्षय लक्ष्मण के सर्वोच्च बलिदान को सलाम करते हैं और उनके परिवार के प्रति गहरी संवेदना व्यक्त करते हैं। सैन्य सूत्रों ने बताया कि अग्निवीरों की भर्ती करने के नियमों में ड्यूटी पर दुर्घटनाओं में मौत होने की स्थिति में परिलाभ शामिल है। इसके मुताबिक मृतक अग्निवीर के परिजनों को गैर अंशदायी बीमा के रूप में 48 लाख रूपए के साथ-साथ 44 लाख रूपए की सहायता राशि मिलेगी।
सशस्त्र बल युद्ध हताहत कोष से 8 लाख रूपए
जवान के परिजनों को सेवा निधि से भी राशि मिलेगी, जिसमें अग्निवीर के योगदान 30 प्रतिशत सरकार की ओर से समान योगदान और उस पर ब्याज की राशि शामिल है। सूत्रों ने कहा कि परिजनों को मृत्यु की तारीख से 4 साल में बचे शेष कार्यकाल का वेतन (13 लाख से अधिक) भी मिलेगा। उन्होंने बताया कि मृतक के परिवार को सशस्त्र बल युद्ध हताहत कोष से 8 लाख रूपए की राशि भी दी जाएगी। गौरतलब है पुंछ सेक्टर में जम्मू कश्मीर राइफल्स की एक बटालियन में सेवारत अग्निवीर अमृतपाल सिंह की 11 अक्टूबर को मौत हो गई। शुक्रवार को उनके पैतृक गांव में उनकी अंत्येष्टी की गई।
सीएम ने सौंपा एक करोड़ का चेक, आत्महत्या करने पर सम्मान नहीं
पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने कहा कि उनकी सरकार जम्मू कश्मीर में जान गंवाने वाले अग्निवीर सिंह को शहीद का दर्जा देगी। सिंह की अंत्येष्टि सैन्य सम्मान के साथ नहीं किए जाने से उपजे विवाद के बीच उनका यह बयान आया है। सीएम मान मानसा जिले में कोटली कलां गांव स्थित अमृतपाल सिंह के घर गए, उनके परिवार को एक करोड़ रूपए का चेक सौंपा। सेना ने कहा था कि अग्निवीर अमृतपाल सिंह ने संतरी ड्यूटी के दौरान खुद को गोली मारकर आत्महत्या की। सिंह का अंतिम संस्कार सैन्य सम्मान के साथ नहीं किया गया, क्योंकि खुद को पहुंचाई गई चोट से होने वाली मौत के मामलें में ऐसा सम्मान नहीं दिया जाता।