कांकेर। परवी गांव से खड़का के बीच मंघर्रा नाला पर पुल निर्माण की मांग ग्रामीण 15 साल से कर रहे हैं। 2008 में तत्कालीन मुख्यमंत्री रमन सिंह ने ग्रामीणों की मांग पर पुल निर्माण के लिए आश्वासन दिया था लेकिन पुल नहीं बना। 2019 में सरकार बदली। कांग्रेस के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने भी पुल निर्माण के लिए घोषणा की थी फिर भी पुल नहीं बना। जब सरकार द्वारा किसी प्रकार का ध्यान नहीं दिया गया तो अब ग्रामीण स्वयं श्रमदान कर लकड़ी का पुल का निर्माण किया है।
तीन गांव खड़का, भुरका और जलहुर के ग्रामीणों ने खुद कुल्हाड़ी उठाई और बांस बल्ली का प्रबंध कर श्रमदान करते कच्चा पुल तैयार कर दिया। ग्रामीणों का कहना है कि रोजमर्रा के सामान के लिए जान जोखिम में डालकर नदी पार करना पड़ता था। एक दूसरा रास्ता भी है जिसमें 10 किमी की जगह 45 किमी चक्कर लगाना पड़ता था। इन्हीं सब परेशानियों से मुक्ति पाने के लिए हम ग्रामीणों ने मिलकर लकड़ी का पुल तैयार किया है।
दरअसल जिला मुख्यालय कांकेर से 70 किलोमीटर दूर तीन गांव खड़का, भुरका और जलहुर ये तीन गांव के ग्रामीण आजादी के बाद से लगातार मंघर्रा नदी पर पुल बनाने की मांग करते आ रहे है। ग्रामीणों ने बताया कि नदी के बहते पानी को पार कर आना-जाना करते है, लेकिन बारिश का मौसम अधिक कठिनाई भरा रहता है। ग्रामीणों ने बांस और बल्ली की मदद से एक स्थाई पुल बना लिया है, जिससे अब वह आना-जाना कर रहे हैं।
ग्रामीणों का कहना है कि तीनों गांव बारिश के 4 महीने टापू में तब्दील हो जाते है। नदी में बारिश का पानी आ जाने से आना- जाना बंद हो जाता है। दूसरे मार्ग से जाने से 45 किमी सफर करना पड़ता है। ग्रामीण अपने गांवो में फंसे रह जाते हैं। ऐसा नहीं कि ग्रामीणों ने पुल निर्माण की मांग नही कि हो, शासन, प्रशासन, विभिन्न जनप्रतिनिधियों को इस संबंध में अवगत कराकर मांगे की जा चुकी है हैं। इसके बाद भी किसी ने इस ओर ध्यान नहीं दिया। अब थक-हारकर ग्रामीणों ने स्वयं श्रमदान कर बांस और बल्ली की मदद से पुल का निर्माण किया है।
ग्रामीण महिला ने बताया कि पुल के अभाव में स्वास्थ्य सुविधाओं का वाहन गांव तक नही पहुंच पाता है। इससे गर्भवती महिलाओं को काफी दिक्कत का सामना करना पड़ता है। कांवड़ से महिलाओं को ले जाना होता । यही हाल स्कूली बच्चों का है। पानी ज्यादा होने से स्कूली बच्चे पुल के अभाव में स्कूल नहीं जाते हैं या फिर जान जोखिम में डालकर पुल पार करना होता है। अब पुल बन जाने से इन समस्याओं का सामना नहीं करना पड़ेगा।