ओझा, डुमरांव (बक्सर)। डुमरांव के नंदन गांव के आर्मी मैन त्यागी यादव ने देशप्रेम की अनूठी मिसाल पेश की है। शादी के 24 घंटे बाद ही उन्हें सीमा पर बुलाया गया। भारत-पाकिस्तान सीमा पर तनाव के चलते त्यागी ने अपनी पत्नी को अलविदा कहा और देश सेवा के लिए निकल पड़े। उनके इस जज्बे को पूरे गांव ने सराहा। यह खबर डुमरांव क्षेत्र में देशभक्ति का प्रतीक बन गई है।
पिछले छह वर्षों से 169 एडी ब्रिगेड में सेवारत त्यागी वर्तमान में श्रीनगर के कंगधार में तैनात हैं। हाल ही में दो महीने की छुट्टी पर घर आए त्यागी की सात मई की रात केसठ की प्रिया कुमारी के साथ धूमधाम से शादी हुई, लेकिन मात्र 24 घंटे बाद ही उन्हें देश की रक्षा के लिए कर्तव्य पथ पर लौटने का बुलावा आ गया। इसके बाद वह बिना देर किए अपनी नवविवाहित पत्नी और परिवार को अलविदा कह, मातृभूमि की सेवा के लिए कदम बढ़ा दिए।
शादी की खुशियां और देश की पुकारः
सात मई को हर्षोल्लास के माहौल में त्यागी और प्रिया कुमारी परिणय सूत्र में बंधे। आठ मई को जब नवविवाहित जोड़ा नंदन गांव स्थित घर पहुंचा, तब तक बटालियन से खबर आ चुकी थी कि भारत-पाकिस्तान सीमा पर युद्ध जैसी स्थिति उत्पन्न हो गई है। इसके चलते त्यागी की दो महीने की छुट्टी रद्द कर दी गई। यह खबर सुनते ही परिवार में सन्नाटा छा गया, लेकिन त्यागी और उनके परिवार ने इसे देश सेवा का अवसर मानकर तुरंत तैयारी शुरू कर दी।
यह गौरव का क्षण
शनिवार सुबह पटना से फ्लाइट पकड़ने के लिए त्यागी शुक्रवार की देर शाम घर से रवाना हो गए। दैनिक जागरण से बातचीत में उन्होंने गर्व के साथ कहा, यह उनके लिए गौरव का क्षण है। वह अपनी मातृभूमि की रक्षा के लिए जा रहे हैं। उत्साह से भरे त्यागी ने परिवार, मित्रों और गांव वालों को भरोसा दिलाया, इस जंग में जीत हमारी होगी। उनकी इस भावना ने सभी के दिलों को छू लिया।
परिवार का गर्व, प्रिया की मुस्कान
त्यागी के इस साहस और देशभक्ति को देखकर उनके माता धनमानो देवी और पिता श्रीभगवान यादव गर्व से भरे नजर आए। वहीं, 24 घंटे पहले ही दुल्हन बनीं प्रिया कुमारी ने लजाते हुए, मुस्कुराते हुए और आंचल की ओट से अपने पति को विदाई दी। उन्होंने पाकिस्तान के खिलाफ इस जंग में भारत की जीत की कामना की और पति के साहस पर गर्व व्यक्त किया।
गांव में देशभक्ति का जज्बा
त्यागी की इस कहानी ने नंदन गांव में देशभक्ति का नया जज्बा जगा दिया है। गांव वाले उनके साहस की चर्चा कर रहे हैं और उनके सुरक्षित लौटने की प्रार्थना कर रहे हैं। त्यागी यादव की यह कहानी न केवल डुमरांव के लिए, बल्कि पूरे देश के लिए एक प्रेरणा है कि सच्चा सैनिक हर परिस्थिति में देश को सर्वोपरि रखता है।