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कोरबा

कत्थे वाले हाथों ने दुर्गति बना दी 500 के नोट की, बैंक पहुंचा और फिर एटीएम से निकला और नहीं चला

कोरबा। आपने देखा होगा कि किसी भी पान की दुकान में ग्राहक जब रूपए देता है तो पान दुकान वाले रूपए उन्ही हाथों से लेते हैं, जिसमें कत्था लगा रहता है। स्वभाविक है कि नोट में कत्था जरूर लगेगा। दस रूपए का रंग लाल रहता है, उसमें कत्था लगे या चूना कोई फर्क नहीं पड़ता, लेकिन जब हरे रंग के 500 या नए 20 के नोट को कत्थे वाला हाथ लगाया जाए तो फिर क्या होगा यह बताने की आवश्यकता नहीं है।ऐसा ही एक वाक्या सामने आया है। दो दिन पहले एक बैंक उपभोक्ता ने पुराना बस स्टैंड कोरबा के समीप सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया के एटीएम से 500 रूपए निकाला। 500 के नोट में कत्था लगा हुआ था। उपभोक्ता नोट को लेकर सब्जी खरीदने गया तो सब्जी वाले ने यह कहकर नोट लेने से इंकार कर दिया कि नोट में कत्था लगा हुआ है। इसके बाद उपभोक्ता एक किराना दुकान में गया और कोलगेट खरीदा। यहां भी दुकानदार ने नोट लेने से इंकार कर दिया। इसके बाद पेट्रोल पंप में भी कर्मचारी ने नोट लेने से इंकार कर दिया। गौर करने वाली बात यह है कि यह 500 का नोट एक से दूसरे के पास और दूसरे से तीसरे के पास होते हुए पान दुकान पहुंचा होगा। पान दुकान में कत्थे वाले हाथों के संपर्क में आने पर इस हरा नोट लाल हो गया। इसके बाद यह नोट एक से दूसरे के पास होते हुए बैंक पहुंच गया। बैंक के अधिकारी कर्मचारियों ने उसी नोट को बंडल के साथ एटीएम मशीन में डाल दिया। जब बैंक एक उपभोक्ता ने एटीएम से नोट निकाला तो कत्थे वाला नोट निकलकर बाहर आया। कत्थे वाले हाथों ने ऐसे अनेक नोटों की दुर्गति बनाकर रख दिया है। अगर हमारे देश के नोटों को सुरक्षित तरीके से चलन में रखना है तो सबसे पहले कत्थे वाले हाथों से बचाना होगा। आरबीआई को चाहिए कि नोटों को सुरक्षित रखने के लिए कारगर पहल की जाए।

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