पीलिया (जॉन्डिस) का उपाय –पीलिया होने पर आँखें, त्वचा, नाख़ुन, मुँह आदि पीले होने पड़ने लगते हैं। शरीर ढीला और कमजोर पड़ने लगता है। भूख कम लगती है मुँह का स्वाद कड़वा और बेस्वाद हो जाता है। मुँह सूखना, उल्टी जैसा मन होना पेट फूलना, गैस बनना , चक्कर आना सिर में दर्द, नींद की कमी, मूत्र का पीलापन या गाड़ा हो जाना यदि इस प्रकार के लक्षण दिखने लगें तो समझ लें कि उसे पीलिया हो गया है। पीलिया होने पर 99 से 100 तक बुख़ार रहता है। हाथ की नाड़ी मंद पड़ने लगती है। यह रोग पित की अधिकता से होता है।
खाने में परहेज़
पीलिया होने पर पीड़ित के लिए परहेज़ सबसे ज्यादा ज़रूरी है। पीलिया मरीज़ को घी, तेल, मिर्च , हल्दी, गर्म मसाले से बनी चीज़े, अचार, सभी प्रकार के खट्टे फल, राई, हींग, तिल, गुड़, बेसन, कचालू ,अरबी,चने और उड़द की दाल, उड़द और मैदे वाली चीज़ें केक, तले हुए खाद्य पदार्थ, पित पैदा करने वाली चीज़ों का सेवन तुरंत बंद कर दें। इसके आलावा चावल की खिचड़ी ,अशुद्ध पानी अशुद्ध या बासी खाने का सेवन तुरंत बंद कर दें। आप थोड़ी मात्रा में गाये का घी का माखन ले सकते हैं।
शारीरिक देखभाल
पीलिया होने पर आपका शरीर कमज़ोर पड़ने लगता है। ऐसे में धूप में घूमना, आग के पास बैठना ज्यादा मेहनत का काम करना, अधिक पैदल घूमना , क्रोध , तनाव, सम्भोग आदि से बचना चाहिए। धूम्रपान , शराब , मांस , मछली, चाय एवं मादक पदार्थों का सेवन बिल्कुल न करें।
पीलिया होने के कारण
आपके शरीर में बिलीरुबिन नामक पदार्थ का प्रभाव बढ़ता जाता है जिससे यह लिवर को प्रभावित करता है और आपका लिवर ठीक से काम नहीं कर पाता यह रोग ज़्यादातर गर्मी और बरसात के मौंसम में होता है। लापरवाही के कारण यह जानलेवा भी हो जाता है।
पीलिया का घरेलू उपचार –
पीलिया को घरेलू उपचार द्वारा ठीक किया जा सकता है।
पीपल के 3-4 नये पत्ते (कोपलें) , पानी से साफ़ करके मिश्री या चीनी के साथ अच्छी तरह घोटकर बारीक़ पीस लें। एक गिलास (250 ग्राम ) पानी में मिलाकर किसी साफ़ कपड़े से छान लें। यह पीपल के पत्ते का शरबत पीलियाग्रस्त रोगी को दिन में 2 बार पिलाए। आवश्यकतानुसार 3 से 7 दिन तक दें। पीलिया से छुटकारा मिल जायेगा।
गन्ने का रस – पीलिया में गन्ने का रस पीना सर्वोत्तम माना गया है। लेकिन रस अच्छे और साफ़ गन्ने का बनाया हुआ हो जिसे सुबह पीना ज़्यादा असरदार होता है।
संतरे का रस – साफ़ सुथरे संतरों के रस का सेवन करें।
नारियल पानी –कच्चे नारियल का पानी दिन में दो बार पीयें।
मूली – मूली के पत्तों का रस पीयें।
फटे दूध के पानी का सेवन, दही में पानी डालकर छाछ जैसा पतला कर उसमें नमक और काली मिर्च मिलाकर पियें।
दूध – यदि आप दूध पीना चाहते हैं तो दूध के बराबर पानी मिलकर उसमें कुछ दाने सौफ़ डालकर पीयें। यदि दूध को लोहे की कड़ाही में गर्म करके पीयेंगे तो ज़्यादा अच्छा होगा।
सब्ज़ियाँ – परवल, चौलाई , कच्ची मूली, घिया (लौकी ) तोरई , टिंडे , पालक , पुदीने का रस निकालकर सुबह चीनी मिलाकर पीने से जल्द फायदा मिलता है , धनिया, आँवला, टमाटर, लह्सुन।
फल – मौसमी, पपीता , चीकू , ख़ज़ूर आदि उत्तम है। मीठा अनार (बेदाना), मीठा संतरा, अँगूर, ( अँगूर की जगह 8-10 मुनक्का दाना और 20-25 किशमिश को 12-14 घंटे भिगोकर सुबह मुनक्का के बीज़ निकालकर या किश्मिश खाकर ऊपर से वही बचा हुआ पानी पी लेना चाहिए।
भोजन – खाने में पुराने गेहूं और जौ की रोटी बिना घी कीToday Studio, दलिया , पीलिया में जौ का सत्तू लेना और ऊपर से गन्ने का रस पीना सर्वोत्तम है। मूंग की दाल में काला नमक व् काली मिर्च मिलाकर लें। मूंग और मसूर, अरहर का सूप भी ले सकते है। नोट :Today Studio लेख की पुष्टि नहीं करता है। अधिक जानकारी के लिए विशेषज्ञ की सलाह ले सकते हैं।