भू धसान से प्रभावित हुए किसानों के फसल का नुकसान क्षतिपूर्ति का आंकलन कर सात दिनों में पूरा करने का आश्वाशन दिया दर्री तहसीलदार ने
कोरबा। एसईसीएल के बल्गी सुराकछार खदान के भूधसान से प्रभावित किसानों को विगत तीन वर्षों का फसल क्षतिपूर्ति मुआवजा देने की मांग को लेकर मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी और छत्तीसगढ़ किसान सभा ने कटघोरा एसडीएम कार्यालय का 21 मार्च को घेराव की घोसना की थी घेराव से पूर्व दर्री तहसील में फसल नुकसान के संबंध में बैठक हुई बैठक में दर्री तहसीलदार सोनित मेंरिया माकपा जिला सचिव प्रशांत झा,किसान सभा के अध्यक्ष जवाहर सिंह कंवर,दामोदर श्याम,गणेश राम चौहान,महिपाल सिंह कंवर के साथ आर आई,पटवारी उपस्थित थे।
बैठक में उपस्थित दर्री तहसीलदार ने कहा की दो दिन में राजस्व के अधिकारी गांव में जाकर फसल नुकसान का सर्वे का कार्य पूरा कर सात दिनों में एसईसीएल को किसानों को हुए नुकसान की क्षतिपूर्ति मुआवजा देने के लिए फाइल भेजने का आश्वाशन दिया सकारात्मक चर्चा के बाद माकपा ने 21 मार्च को कटघोरा एसडीएम कार्यालय घेराव को स्थागित कर दिया है।
माकपा जिला सचिव प्रशांत झा और छत्तीसगढ़ किसान सभा के जिला अध्यक्ष जवाहर सिंह कंवर ने बताया कि बलगी कोयला खदान की डि-पिल्लरिंग के कारण सुराकछार बस्ती के किसानों की सैकड़ों हेक्टेयर कृषि योग्य भूमि भू-धसान के कारण पूरी तरह से बर्बाद हो गई है। भूमि में दरारें इतनी गहरी है कि वह पूरी तरह तालाब, झील और खाई में तब्दील हो चुकी है। अब इस जमीन में किसान कोई भी कृषि कार्य नहीं कर पा रहे हैं। इसके एवज में एसईसीएल हर साल किसानों को मुआवजा देता रहा है, लेकिन पिछले तीन सालों में हुए नुकसान का आंकलन कर मुआवजे का भुगतान की प्रक्रिया शुरू नहीं होने से भूधसान प्रभावित किसानों में आक्रोश बढ़ता जा रहा है और फसल नुकसान का आंकलन राजस्व विभाग को करना है इसलिए माकपा ने लगातार एक साल से कटघोरा एसडीएम से भूधसान से प्रभावित किसानों को क्षतिपूर्ति मुआवजा दिलाने की मांग कर रही है लेकिन एक साल बाद भी इस मामले में एक इंच भी प्रगति नहीं देखते हुए घेराव की घोषणा की थी सकारात्मक चर्चा के बाद आंदोलन जरूर स्थागित किया गया है लेकिन किसानों को मुआवजा देने में देरी होगी तो आंदोलन को और तेज किया जाएगा।
उल्लेखनीय है कि बल्गी सुराकछार खदान के भूधसान के कारण सुराकछार बस्ती के किसानों की भूमि वर्ष 2009 से कृषि कार्य करने योग्य नहीं रह गई है। इससे किसानों को हुए भारी नुकसान को देखते हुए वर्ष 2019-2020 तक का फसल क्षतिपूर्ति व मुआवजा एसईसीएल प्रबंधन को देना पड़ा है।लेकिन इसके बाद वर्ष 2020-21 से वर्ष 2022-23 तक का तीन वर्षों का मुआवजा अभी तक लंबित है। वर्ष 2012 में एसईसीएल प्रबंधन ने खेतों के भूमि समतलीकरण करने का भी आश्वासन दिया था, लेकिन उसने इस पर भी आज तक अमल नहीं किया।