ग्वालियर। एक सॉफ्टवेयर इंजीनियर ने शादीशुदा होते हुए भी दूसरा ब्याह रचाया। मामला फैमिली कोर्ट तक पहुंचा, लेकिन कोर्ट के बाहर ही अनोखा समझौता हो गया। ये तय हुआ कि पति सप्ताह में तीन दिन एक पत्नी के साथ रहेगा और 3 दिन दूसरी पत्नी के साथ। संडे को पति की मर्जी। वह चाहे जिसके साथ रहे। पति ने एक-एक फ्लैट दोनों पत्नियों को दे दिए हैं।
पति की दूसरी शादी की बात पता लगने के बाद ग्वालियर की रहने वाले 28 वर्षीय एक महिला फैमिली कोर्ट पहुंची थी। वह अपने और बेटे के भरण पोषण के लिए केस दायर करने आई थी, लेकिन न्यायालय में काउंसलर ने उसे समझाया, पति-पत्नी दोनों की काउंसलिंग की और कोर्ट के बाहर ही समझौता करा दिया।
पूरी कहानी… फैमिली कोर्ट पहुंची ग्वालियर की रहने वाली इस महिला की शादी साल 2018 में हुई थी। पति हरियाणा के गुरुग्राम में एक मल्टी नेशनल कंपनी में सॉफ्टवेयर इंजीनियर है। दो साल तक पति-पत्नी साथ रहे। इनका एक बच्चा भी है। साल 2020 में लॉकडाउन के दौरान पति पत्नी को उसके मायके ग्वालियर छोड़ गया था, फिर उसे लेने नहीं आया।
इसी बीच इंजीनियर पति के उसी की कंपनी में साथ काम करने वाली एक महिला कर्मचारी के साथ संबंध बन गए। वह उसके साथ लिव इन में रहने लगा और बाद में शादी कर ली। दूसरी पत्नी से उसे एक लड़की है।
इधर, पति जब पहली पत्नी को लेने नहीं आ रहा था तो वह खुद गुरुग्राम पहुंच गई। वहां उसे पता लगा कि पति ने तो दूसरी शादी कर ली है। इस बात को लेकर दोनों में विवाद भी हुआ। नाराज पत्नी पति के खिलाफ ग्वालियर की फैमिली कोर्ट पहुंच गई। वह अपने और बेटे के भरण पोषण लेने के लिए केस करना चाहती थी, लेकिन उसकी मुलाकात कुटुंब न्यायालय में काउंसलर हरीश दीवान से हुई। जिसने उसे समझाया। इस केस की काउंसलिंग की।
काउंसलर एडवोकेट हरीश दीवान ने महिला को समझाया कि उसके और बेटे के भरण पोषण के लिए 7 से 8 हजार रुपए तक ही मिल पाएंगे। इससे उसका क्या फायदा होगा। काउंसलर ने महिला के पति से फोन पर बात की। उसे भी समझाया। 6 महीने के अंदर 5 बार काउंसलिंग की।
न्यायालय में केस पहुंचने से पहले ही दोनों के बीच सुलह करा दी। जिसके मुताबिक पति हफ्ते में तीन-तीन दिन दोनों के साथ रहेगा। रविवार को पति की छुट्टी रहेगी। वह अपनी इच्छा के अनुसार कहीं भी रुक सकता है। छुट्टी के दिन पत्नियों का पति पर कोई प्रतिबंध नहीं रहेगा। वह दोनों पत्नियों के साथ रह सके उसके लिए दोनों को गुरुग्राम में एक-एक फ्लैट दे दिया है।
काउंसलर हरीश दीवान ने सॉफ्टवेयर इंजीनियर को समझाया कि इस मामले में कोर्ट में केस जाने से उसे बहुत सारे नुकसान हो सकते हैं। इसलिए वह आउट ऑफ कोर्ट बातचीत कर समझौता कर ले। इससे वह भी खुश रहेगा और उसकी पत्नियां भी खुश रहेंगी।
फैमिली कोर्ट के काउंसलर हरीश दीवान का कहना है कि मैंने दोनों पक्षों के बीच बातचीत कर समझौता कराया है। पति और दोनों पत्नियों इसके लिए तैयार है। पति ने दोनों पत्नियों की जिम्मेदारी निभाने का वादा किया है। ऐसे में न्यायालय से पहले ही केस में समझौता हो गया है।